आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

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The Earth Redeemed by Strangers / The Strangeness of the Sacred: Alok Bhalla

कथेतर / Non-Fiction

A Reading of a Painting of the Ramayana from Chamba 1 The genesis of this project lies in my attempt to ‘read’, in collaboration with Vijay Sharma, three 18th century miniature paintings based on the Ramayana in the Bhuri Singh Museum at Chamba (cf. Vishwa Chander Ohri). As with the written and oral versions of […]



आजादी से पहले और बाद – मीडिया और राजनीति: त्रिभुवन

कथेतर / Non-Fiction

”कभी भारत में पत्रकारिता का पेशा एक व्यवसाय था. अब वह व्यापार बन गया है. वह तो साबुन बनाने जैसा है, उससे अधिक कुछ भी नहीं. उसमें कोई नैतिक दायित्व नहीं है. वह स्वयं को जनता को जिम्मेदार सलाहकार नहीं मानता. भारत की पत्रकारिता इस बात को अपना सर्वप्रथम तथा सर्वोपरि कर्तव्य नहीं मानती कि […]



Loneliness Alert: Akhil Katyal

कथेतर / Non-Fiction

Rounding up the Usual Suspects Fire alarms at my postgraduate student house in London are always a ready excuse to hang out. Every time the highly annoying siren sounds off, I see students acknowledge it with a very odd mix of frustration and amusement. We clamber down the stairs making the familiar shrugs and smiles […]



नागार्जुन और विचारधारा का सवाल: अशोक कुमार पाण्डेय

कथेतर / Non-Fiction

ये समझना कि वो अस्थिर हैं और उनकी राजनीतिक विचारधारा अस्थिर रही, सही बात नहीं है. मैं तो ये कह सकता हूँ कि बहुत-सी पार्टियों में वामपक्ष भी पार्टियां हैं, उनकी विचारधारा अधिक अस्थिर रही है नागार्जुन की तुलना में. नागार्जुन के विचारों में परिवर्तन होता रहा है. ये बात सही है और हमेशा सही […]



वॉन ट्रिअर और सिनेमा: अभय तिवारी

कथेतर / Non-Fiction

तकनीक, निर्देशक और दर्शक की आज़ादी लार्स वॉन ट्रिअर कहते हैं, “मेरी फ़िल्मे आदर्शों के बारे में हैं जो दुनिया से जा टकराते हैं. जब भी मुख्य भूमिका पुरुष की होती है, वो आदर्श भुला बैठते हैं. और जब भी एक स्त्री मुख्य भूमिका निभाती है तो वो आदर्शों को अपने अन्तिम परिणति तक ले […]



The Wages of War: Aseem Kaul

कथेतर / Non-Fiction

David Malouf’s Ransom 1. In the annals of epic poetry there are few poems as vivid and majestic as Homer’s Iliad. From the first introduction of the Achaean armada, through the bone-shattering battle for Patroclus’ corpse, to the revenge of Achilles dyeing the Skamander red, Homer’s dramatization of the Trojan War remains true to its […]



Beginning an Essay: Rustam (Singh)

कथेतर / Non-Fiction

But one can begin an essay any which way, and on any subject. For instance, let us begin with this sentence and then see what happens: Women are the same as men – except in the shape of the sexual organs and the shape of the body. They think in the same way, feel in […]



Once You’ve Said A: Merete Pryds Helle

कथेतर / Non-Fiction

Once you’ve said A, you can say. Once you’ve said A a sufficient number of times and then B and then… you simply have to go on. You can’t say A P F, for behind A P F there’s a little voice saying A B C, and behind the C there’s the backroom where the […]



यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते: भूतनाथ

कथा / Fiction

नन्हें बहुत छोटा था. उसकी एक बड़ी दीदी थी. दीदी बहुत बड़ी थी, माँ से लंबी और पापा से छोटी. नन्हें दीदी की कमर तक आता था. दीदी आठवीं में पढ़ती थी, नन्हें तीसरी में पढता था. नन्हें को स्कूल जाना कभी पसंद नहीं था, लेकिन दीदी हमेशा स्कूल जाती थी. नन्हें बिचारा स्कूल में […]



उस पार: वरुण ग्रोवर

कथा / Fiction

लंबी लाइन थी. इतने छोटे-से रोल के लिए भी इतने लड़के आ गए थे. कुछ तो सीधे नींद में चलकर आए लग रहे थे. जैरी नींद में नहीं था. उसने अपना पॉकेट मिरर निकाल कर चेक भी किया. एक बार बालों पर भी हाथ फेरा. बालों पर हाथ फेरने से उसे कॉन्फिडेंस आता था. इसलिए […]