नींद में अव्यक्त हैं सपने: लीना मल्होत्रा राव
कविता / Poetryओ रेतीले देश के अजनबी ओ रेतीले देश के अजनबी मै देखती हूँ उस रेगिस्तान को अपने सपनो में जिसकी रेत बिखरी रहती है मेरे बिस्तर पर जिस्म को रगडती है बेतहाशा घाव रिसते हैं पर दिखते नहीं… भीगती हूँ जब भी बारिश में मेरे पाँव उस धूप में निकल जाते हैं जो रेगिस्तान पर […]