आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

कविता / Poetry

श्वेत श्याम स्मरणः अनिरूद्ध उमट

कविता / Poetry

झूलता स्वप्न आकाश से उतरा एक झूला कमरे की छत पर उसमें एक हरा तोता एक कव्वा पुष्प पारिजात के भीतर से मैंने कहा ‘ये मेरे झूला झूलने की उम्र नहीं’ बाहर से किसी ने कहा ‘मगर प्यास का क्या करें’ मैं लोटा भर शीतल जल छत पर लाया उठने लगा तब तक झूला ऊपर […]



Between Tongue and Blood: Krishna Mohan Jha

कविता / Poetry

Even Now If you’re on a mountain Put your foot on the wind’s back and come If you’re on a riverbank far away Become a piece of straw and ride the current If you’re in an unknown world Hold tight to the thread of your Weeping and wakefulness and come Whoever you are Wherever you […]



The Distance of a Temple Bell: Sharanya Manivannan

कविता / Poetry

LAST LIGHT And again I enter the hour at which nothing suffices but the memory of sunset in the southern heartland the light sweeping its long wing across a terrain of brown puddles –         the river, scattered and whole the slow ascent of the moon’s painted eye from the corner where the earth kisses its […]



गाँव में पिता बहादुर शाह ज़फ़र थे: उमा शंकर चौधरी

कविता / Poetry

वह मेरे गाँव की आखिरी असफल क्रांति थी जिसमें मेरे पिता की मौत हुई इसे आप मौत कहें या एक दर्दनाक हत्या. मृत पिता का चेहरा आज भी मेरी आंखों में जस-का-तस बसा है वही पथरायी आंखें वही सफेद चेहरा चेहरे पर खून का कोई धब्बा नहीं है किसी अंग की विकृति के कोई निशान […]



कचनार का पीत पातः विनोद पदरज

कविता / Poetry

कचनार का पीत पात एक बूढ़ा और एक बुढ़िया बैठे हैं चबूतरे पर जैसे वॉन गॉग की पेंटिंग के एक जोड़ी जूते जिन्हें बदहवास ज़िन्दगी ने पहना बरसों बरस कौन स्त्री है जो कद्दावर पेड़ की शाखों से लता की तरह लिपट जाती थी कौन पुरूष है जो पूनम का चाँद देखकर समुद्र की तरह […]



पानी की तरह कम तुमः प्रभात

कविता / Poetry

सफर दुख में गाफिल उस युवती ने बच्चे को गोद में लिया और रेल में बैठ गई सुख के स्टेशन पर उतरने के लिए स्टेशन भी आया वह उतरी भी वहाँ मगर चाहा गया सुख उसके लिए घना दुख बना बैठा था जिससे मिलकर वह यातना से इतना भर गई कि उसने बच्चे को गोद […]



Evening Poems: Lakshmi Arya

कविता / Poetry

Evening Poems Evening poems are like blind windows of empty houses where no-one indifferently turns on a light while passing through the front room to check if the door is locked. they stare in the dark reflecting street lamps on glass panes and startle at echoes in their own silences waiting vacantly for hope to […]



Puppet’s Eye: Teji Grover

कविता / Poetry

Puppet’s Eye—1 A feeble note A single bee-eater shedding feathers A single footprint by the water With a puppet’s eye, someone watches from afar Traces of those who left in the night rise to the surface Thirst appears But from behind the mound no telling whose Unquenchable Asking its way around it pursues the traveller. […]



कितनी तकनीकी, स्वामीनाथन: समर्थ वाशिष्ठ

कविता / Poetry

कितनी तकनीकी, स्वामीनाथन? कितनी तकनीकी, स्वामीनाथन कि ग्रीष्म से झुलसी सड़क पर चलते तुम्हारे पांव पाएं कुछ आराम सत्तर पार की इस उम्र में सुबह जब तुम लौटाओ किसी परेड में तैनात सिपाही सी कड़क मेरी कमीज़ें विस्मय से भरी तुम्हारी आंखें समझें मेरे लैपटॉप की टिमटिमाती बत्तियां फ़ोन के छुअन से चलने का विज्ञान […]



Fearless: Uddipana Goswami

कविता / Poetry

I will walk down the streets of my city without fear I will not be slapped like my cousin Because he walked on the pavement Where ‘Black Cat’ commandos Brandished machine guns behind sand bags Securing us against insurgents. He was only sixteen. I will not be interviewed on television Lying half naked, faint, prodded […]