श्वेत श्याम स्मरणः अनिरूद्ध उमट
कविता / Poetryझूलता स्वप्न आकाश से उतरा एक झूला कमरे की छत पर उसमें एक हरा तोता एक कव्वा पुष्प पारिजात के भीतर से मैंने कहा ‘ये मेरे झूला झूलने की उम्र नहीं’ बाहर से किसी ने कहा ‘मगर प्यास का क्या करें’ मैं लोटा भर शीतल जल छत पर लाया उठने लगा तब तक झूला ऊपर […]