आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

कविता / Poetry

Exploring you

कविता / Poetry

Translated from Danish by Milton Esman Exploring you I chisel me into you and engrave you into me and build my own monastery in your stoney bedrock. From me to Al-deyr traveling along the skeleton coast to the iron grotto where the waters of the Timor Sea licks the rough edges I steal me a […]



लॉन्गफ़ेलो का शहर छोड़ते हुए : भारतभूषण तिवारी

कविता / Poetry

फिर मदर इण्डिया तुम क्या कभी सोचोगे उन आँसुओं के बारे में जो उस दिन शायद अख़बार पर ही टपके होंगे ख़बर पढ़कर   मुझसे सिर्फ तीस-पैंतीस किलोमीटर और महज दो-तीन सालों के अन्तर पर पैदा होकर भी कितने अलग हो यार!   शायद तुम न जान पाओ कितने महीने लगे होंगे या लगे होंगे […]



तुम्हारे नाम से निकल कर एक अक्षर: अरुण देव की कविताएँ

कविता / Poetry

 अगर मगर तुम अगर नदी रहती तो मैं एक नाव बन तैरता रहता अगर तुम वृक्ष रहतीं तो बया बन एक घोसला बनाता तुम्हारे हरे पत्तों के बीच अगर तुम कपास रहती बन जाता वस्त्र छापे का रंग बन चढ़ जाता कि धोने से भी न उतरता   अगर तुम आँधी रहती तो मैं एक […]



बोधिसत्व की दो कविताएँ

कविता / Poetry

क्या इसीलिए जन्मा राम के अवध में कुछ आवाजें आ रही है इन आवाजों में घुले हैं कई स्वर कभी लगता है कि ये बहुत दूर से आ रही आवाजें हैं कभी लगता है कि घर में ही उठ रही है यह आवाज या घर के पीछे का कोलाहल है यह। कई लोग हैं और […]



…कुछ समझे ख़ुदा करे कोई: कुमार अनुपम

कविता / Poetry

(अवाँगार्द की डायरी से बेतरतीब सतरें) मेरी मृत्यु किसी और को न मिले भले मिले मेरे हिस्से का जीवन पुरखों के पसीने का रंग संसार के मुस्कुराते स्वस्थ चेहरों पर जैसे मिलता ही रहा है मेरा जीवन किसी और को न मिले कि निभा न सकूँ अपना पुश्तैनी धर्म ऐसा कतई न हो… 1. मरने […]



Lunatics of the Border Areas – A Journal: Vivek Narayanan

कथा / Fiction, कविता / Poetry

From an actual news item, apparently, (credited to the Press Trust of India) in The Hindu, June 3, 2002: “A sudden increase in the number of lunatics in the border areas is causing concern to the district administration…” * When I woke the first day, all was blur. A boot kicked me, I fell, then […]



Trim Time to a Sliver: Doris Kareva

कविता / Poetry

68 A house by the sea forever feels it is a ship just put ashore. Every night it traipses across endless oceans, ages and spaces. All around is a drift of stars deep within weeps a hearth that no one will light. As a dog misses its master, so the house by the sea pines […]



प्राथमिक शिक्षक: प्रभात

कविता / Poetry

प्राथमिक शिक्षक 1 पासबुस पढ़कर बीये किया है मैंने बनबीक सीरिंज पडकर अैमे डोनेसन से किया है बीएड राजकीय प्राथमिक साला चूनावाला में पडाता हूं नहीं मूड होता तो साथी गंगाराम कोली को फोन पर बता देता हूं बिना बात सीएल खराब नहीं करता अगले रोज साइन लगा देता हूं लेकिन फिर भी चूंकि आन-गारमेन्ट […]



Amidst Vanished Words: Roselyne Sibille

कविता / Poetry

Amidst Vanished Words Amidst vanished words the world leaves in a chaos of meaning The door is empty       and the petals grey Feet of fine marble house the only path As the moon visits the night       its vastness infinite the eyes alone sustain the link I dwell between two shadows whose name I seek I […]



The Gunpowder of Your Memories: Sailen Routray

कविता / Poetry

On the Day of Your Escape On the day of your escape, lotuses bloom in the sky. And I can walk, finally, on the thin film of the mercury of my sorrow. On the day of your escape, the sunflowers in my garden laugh uproariously like a bouquet of shameless whores; their voices like the […]