आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

कथेतर / Non-Fiction

कबीर काव्य – संवेदना का ‘महावृत्तान्त’: राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय

कथेतर / Non-Fiction

कबीर एक विचारक, क्रान्तिकारी और समाज परिवर्तन के महत्त्वपूर्ण कारक के रूप में हिन्दी भाषी जनता ही नहीं सम्पूर्ण भारतीय जनमानस को प्रेरित-प्रभावित करते रहे हैं. कबीर को दलितों और वंचितों की आवाज़ के रूप में समझकर पढ़ा जाने लगा. कुछ के लिए कबीर एक रहस्यवादी कवि के रूप में महत्त्वपूर्ण रहे और उनकी आध्यात्मिक […]



मीरा की कविता का पुनर्पाठ: माधव हाड़ा

कथेतर / Non-Fiction

पहले धार्मिक सांप्रदायिक चरित्र-आख्यानों और बाद में उपनिवेशकालीन इतिहासकारों ने मीरा की, जो संत-भक्त और रहस्यवादी कवयित्री छवि निर्मित की, उससे उसकी कविता का सही मूल्यांकन नहीं हो पाया। मीरा पारंपरिक अर्थ में संत-भक्त नहीं थी, उसने राजसत्ता और पितृसत्ता के विरुद्ध अपने विद्रोह को भक्ति के आवरण में व्यक्त किया, जिसके पर्याप्त साक्ष्य उसकी […]



एक था गाँव: वरूण

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हमारे देश में टीवी मेरे जन्म से बहुत पहले आया. हमारे घर में मेरे पैदा होने के ७ साल बाद. टीवी पर गाँव मैंने शायद टीवी आने के पहले दिन ही देख लिया (कृषि दर्शन मेरा पसंदीदा कार्यक्रम था, क्यूंकि इसमें आउट डोर बहुत दिखता था). असल ज़िंदगी में सचमुच** का गाँव अभी देखा है […]



किसी दूसरे कालखंड में: मिहिर पंड्या

कथेतर / Non-Fiction

“इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यूँ है” (1) “छोटे-छोटे शहरों से खाली बोर दुपहरों से हम तो झोला उठाके चले बारिश कम-कम लगती है नदिया मद्धम लगती है हम समन्दर के अन्दर चले हम चले, हम चले, ओये रामचंद रे…” – गुलज़ार. ’बंटी और बबली’, 2005 (2) फ़िल्म में भी उनका नाम ’बंटी’ […]



To Be Fortunate: Rustam (Singh)

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To be fortunate means to be able to think, to be able to receive thought, to be able to respond to it from the very centre of one’s being, and to be able to do all of this despite the twists in one’s fortune.[1] However, there is a kind of thinking, a kind of ability […]



जहाँ मीठा पानी एक सपना हैः गीताश्री

कथेतर / Non-Fiction

अनादि राय दरार पड़े खेत की तरफ फटी फटी आंखों से देख रहा है. वहाँ से उसकी निगाहें खारे पानी के तालाब की तरफ जाती है और उसकी आंख में तालाब का खारा पानी भर जाता है. डूबते द्वीप के साथ उसका दिल भी डूब रहा है. ना फटी जमीन का कोई रफूगर है ना […]



रामपाली: प्रभात

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राजस्थान के अजमेर जिले में, केकड़ी तहसील हैडक्वाटर से, छह किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गाँव-रामपाली. केकड़ी से रामपाली आते हुए सड़क के दोनों ओर जहाँ तक निगाह पहुंच रही थी, सूखे काले खेतों के सिवा कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था. कहीं-कहीं जूली-फ्लोरा की झाड़ियां जरूर दिखाईं दी. ये झाड़ियां चूल्हे के […]



कार्तिक की कहानी: पीयूष दईया

कथेतर / Non-Fiction

अनुपम मिश्र व संतोष पासी के लिए पहाड़ों के घेरे में एक छोटा-सा गाँव था. गाँव में लुभावने सीढ़ीनुमा खेतों के छोरों पर एक छोटे दरवाजे व दो छोटी खिड़कियों वाला एक सुंदर व मजबूत घर था. पहाड़ी ढलान के ऊपरी हिस्से से इसमें सीधे, बिना सीढ़ी के दूसरे मंज़िल में प्रवेश होता था और ढलान […]



लमही वतन है: व्योमेश शुक्ल

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१ लमही वतन है। दूसरी जगहें गाँव घर मुहल्ला गली शहर या जन्मस्थल होती हैं, लमही वतन हो जाती है और लेखक को अपने वतन लौटते रहना चाहिये। लेखक को दूसरे लेखकों के वतन भी लौटना चाहिए। जाँच-परख या टीका-टिप्पणी करने नहीं, रहने के लिए। जितनी देर तक वहाँ ठहरिये, रह जाइये। वतन जाकर रहने […]



When They ‘Tamed’ the Kosi: Deepika Arwind

कथेतर / Non-Fiction

IN PATNA, AND SOON OUT OF IT… We arrive in Patna by the afternoon of March 8. The only news streaming out of the television is of the Women’s Reservation Bill. Lalu Prasad Yadav and Mulayam Singh Yadav are protesting the bill vociferously somewhere in this city, threatening to pull out of the UPA coalition […]