आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

कथेतर / Non-Fiction

A Portrait of the Artist As A Young Terrorist: Amitava Kumar

कथेतर / Non-Fiction

हसन इलाही के “ट्रेकिंग ट्रान्ज़ियेंस” प्रोजेक्ट पर अमिताव कुमार का लेख.

Amitava Kumar’s piece on Hasan Elahi’s “Tracking Transience” project.



With Hope, In Spite of Fear: Purushottam Agrawal

कथेतर / Non-Fiction

With Hope, In Spite Of Fear: Fahrenheit 451 In his novel The Master and Margarita, Mikhail Bulgakov tells us, “written-on paper burns reluctantly”. Bulgakov wrote these words in 1940, in the Stalin-governed Soviet Union. The time we are going to talk about has taken Bulgakov’s words as a challenge and has created a proper system […]



क्या हम हाम्सुन को पढ़ना छोड़ दें: तेजी ग्रोवर

कथेतर / Non-Fiction

Teji Grover on the question of Knut Hamsun’s relevance.

क्नूत हाम्सुन के बारे में तेजी ग्रोवर का लेख.



हिन्दी और अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशक / Hindi and the International Publisher

कथेतर / Non-Fiction

यह एक दुखद तथ्य है कि हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओँ के साहित्य को लेकर भारत से बाहर दिलचस्पी और जानकारी दोनों ही बहुत कम है और यह और भी दुखद विडम्बना कि भारत से बाहर भारतीय अंग्रेजी लेखन की भारत/भारतीय लेखन के एकमात्र, ‘काबिल’ प्रतिनिधि के रूप में स्वीकार्यता बढ़ रही है. इसका एक कारण हिंदी का प्रकाशन तंत्र भी है. पहले यात्रा-पेंग्विन और अब हार्पर कॉलिन्स ने हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाओँ में प्रकशन शुरू किया है. प्रतिलिपि की यात्रा बुक्स की निदेशक नीता गुप्ता से और हार्पर कालिंस इंडिया में हिंदी संपादक मीनाक्षी ठाकुर से हिंदी बाज़ार, हिंदी संस्कृति, और हिन्दी साहित्य के अंतर्राष्ट्रीय प्रोजेक्शन की संभावनाओं पर बातचीत.

It is a sad truth that there is not much interest or information outside India, regarding literature in Hindi and in other Indian languages. It is also sadly ironic that Indian writing in English is taken to be the sole, “worthy” representative of India/Indian writing. One of the reasons for this is the Hindi publishing machinery. First, Yatra/Penguin, and now Harper Collins, have started publishing in Hindi and other Indian languages. Presented here are Pratilipi’s interviews with Director of Yatra Books, Neeta Gupta, and Hindi editor at Harper Collins India, Minakshi Thakur, about the Hindi market and the possibilities of projecting Hindi culture and literature internationally.



रामचंद्र गाँधी को याद करते हुए / Remembering Ramchandra Gandhi

कथेतर / Non-Fiction

जून २००७ में दार्शनिक रामचंद्र गाँधी नहीं रहे. उनका स्मरण करती हुई तेजी ग्रोवर की कवितायेँ और उनकी अनूठी पुस्तक सीता’ज किचन के पूर्वकथन से एक अंश जिसमें उनके बचपन के दुस्स्वप्न के अख़बारों में लिपटे हुए बम एक साथ कई चीज़ों का रूपक बन जाते हैं.

The philosopher Ramchandra Gandhi passed away in June 2007. Presented here are Teji Grover’s poems dedicated to his memory and excerpts from the Preface to his extraordinary book Sita’s Kitchen in which the newspaper-wrapped bombs of his childhood nightmares turn into metaphors of multiple significations.



Indian Documentary: Finding Order

कथेतर / Non-Fiction

भारतीय डाक्यूमेंटरी पर श्रीदला स्वामी के संयोजन में जारी फीचर श्रृंखला में इस बार प्रस्तुत है फिल्म संपादक ज़बीन मर्चेंट का लेख और ज़बीन के काम पर संयोजक की टिप्पणी. ज़बीन इस श्रृंखला में फीचर किये गये फिल्मकारों सुरभि शर्मा और पारोमिता वोहरा के साथ काम कर चुकी हैं. उनके द्वारा संपादित फिल्मों में स्लीपर-हिट फिल्म मनोरमा: सिक्स फीट अंडर भी शामिल है.

As part of our regular feature on Indian Documentary, curated by Sridala Swami, we present a piece by film editor Jabeen Merchant and an introductory comment by Sridala. Jabeen has worked with two documentary-makers featured previously in this space – Paromita Vohra and Surabhi Sharma. She has also edited, among other movies, the sleeper-hit Manorama: Six Feet Under.



कुछ और कवितायें, कुछ और कहानियाँ / Some More Poems, Some More Stories…

कथेतर / Non-Fiction

आतंक की थीम के बाहर कुछ प्रतिभाशाली युवा लेखकों का काम इस अंक में हैं – क्रिश्चियन वार्ड, शिरीष कुमार मौर्य, और समर्थ वशिष्ठ की कवितायेँ; गीत चतुर्वेदी की हिन्दी कहानी; और राना दास गुप्ता से उनके नए उपन्यास सोलो पर एनी जैदी की बातचीत. मीनाक्षी ठाकुर की हिन्दी कवितायेँ प्रतिलिपि में पहली बार प्रकाशित हो रही हैं.

इसी खंड में हैं नंदकिशोर आचार्य और रुस्तम (सिंह) की कवितायेँ – दोनों के रचनाकर्म से प्रतिलिपि के पाठक परिचित हैं – और गुजराती कथाकार प्रवीणसिंह चावडा की गुजराती कहानी मीरा देसाई के अंग्रेजी अनुवाद में.

Apart from the theme of terror, we take great pleasure in presenting the work of some very talented young writers – poems by Christian Ward, Shirish Kumar Mourya and Samartha Vashishta; a short story by Geet Chaturvedi; Annie Zaidi’s interview with Rana Dasgupta about his new novel Solo. Minakshi Thakur’s Hindi poems are being published for the very first time, in Pratilipi.

We also have poetry by Nand Kishore Acharya and Rustam (Singh) – both familiar names for Pratilipi readers – and a story by Gujarati writer Pravinsinh Chavda, in English translation by Mira Desai.



T.N. Madan In Conversation With Sudhir Chandra

कथेतर / Non-Fiction

Sudhir Chandra: Let me tell you very quickly about the idea of the editors of Pratilipi. Their focus is on terror, especially on terror as an experience. So, in deference to their wishes, let me begin by asking if you’ve ever personally experienced any act of terror or been a witness to one? T.N.Madan: Fortunately, […]



आतंकवादी की मानसिक बुनावट: प्रभात रंजन

कथेतर / Non-Fiction

पिछले महीने दिवंगत हुए जॉन अपडाइक की गणना आधुनिक अमेरिका के लिख्खाड़ और गंभीर लेखकों में की जाती रही है. २००६ में प्रकाषित टेररिस्ट उनका बाइसवां और जीवनकाल में प्रकाशित संभवतया अंतिम उपन्यास है. नाइन-एलेवन की घटना के बाद अमेरिका और योरोपीय मुल्कों में मुसलमान की छवि आतंकवादी के रूप में गढ़ी जा रही है, […]



आज के हमारे ख़ास मेहमान हैं मशहूर आतंकवादी ब्लू: गिरिराज किराडू

कथेतर / Non-Fiction

1 ओरहान पामुक के उपन्यास स्नो के आठवें अध्याय में कथा का प्रधान चरित्र (प्रोटेगोनिस्ट) का (काफ़्का के का से प्रेरित) एक चरित्र ब्लू से मिलने जाता है; ब्लू का प्रोफाईल दिलचस्प है – उसकी प्रसिद्धि का कारण यह तथ्य है कि उसे ‘एक स्त्रैण, प्रदर्शनवादी टीवी प्रस्तोता गुनर बेनेर’ की हत्या के लिये जिम्मेवार […]