आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

कथा / Fiction

कहानी की चाभी: आशुतोष भारद्वाज

कथा / Fiction

–कुछ खोज रहे हैं आप? –खोज रहा हूँ? –काफ़ी देर से आप नदी किनारे…..आपकी चाभी तो नहीं खोयी है? –चाभी? –कुछ देर पहले मुझे पानी में एक चाभी मिली थी. लंबी, अष्टधातु की चाभी. यहाँ के लोगों के पास ऐसे ताले चाभी नहीं होते तो मुझे लगा…. –दिखलाइये तो. –वो वहाँ सागौन के नीचे मेरे […]



बिआह की पढ़ाई (उपन्यास अंश): हरे प्रकाश उपाध्याय

कथा / Fiction

1 एक समय होता है विचारणा का और एक समय होता है ठिठककर सोचने का एक समय होता है उन्नत बनने का और एक समय पतन का भी एक समय उन्नति का और एक अवनति का  (ताओ तेह् चिन) हर साल की तरह इस साल भी रामदुलारो देवी मध्य विद्यालय, सेदहाँ की वार्षिक परीक्षा गाँव […]



Lunatics of the Border Areas – A Journal: Vivek Narayanan

कथा / Fiction, कविता / Poetry

From an actual news item, apparently, (credited to the Press Trust of India) in The Hindu, June 3, 2002: “A sudden increase in the number of lunatics in the border areas is causing concern to the district administration…” * When I woke the first day, all was blur. A boot kicked me, I fell, then […]



Empty Dreams: Jayaprakash Satyamurthy

कथा / Fiction

On the first night, I had to sleep half-sitting, my head resting on my knees and my arms wrapped around my legs to avoid rolling onto something that stank terribly and felt disgustingly warm and wet. As my head cleared, I realized it was my own vomit. On the second day, two shallow tubs were […]



यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते: भूतनाथ

कथा / Fiction

नन्हें बहुत छोटा था. उसकी एक बड़ी दीदी थी. दीदी बहुत बड़ी थी, माँ से लंबी और पापा से छोटी. नन्हें दीदी की कमर तक आता था. दीदी आठवीं में पढ़ती थी, नन्हें तीसरी में पढता था. नन्हें को स्कूल जाना कभी पसंद नहीं था, लेकिन दीदी हमेशा स्कूल जाती थी. नन्हें बिचारा स्कूल में […]



उस पार: वरुण ग्रोवर

कथा / Fiction

लंबी लाइन थी. इतने छोटे-से रोल के लिए भी इतने लड़के आ गए थे. कुछ तो सीधे नींद में चलकर आए लग रहे थे. जैरी नींद में नहीं था. उसने अपना पॉकेट मिरर निकाल कर चेक भी किया. एक बार बालों पर भी हाथ फेरा. बालों पर हाथ फेरने से उसे कॉन्फिडेंस आता था. इसलिए […]



तीन कहानियाँ: श्याम अविनाश

कथा / Fiction

सिलसिला बहुत बैचेन था वह, रात घुटी-घुटी सी लग रही थी. नींद की दवा के पीछे हलका सांवला धुंधलका ठहर गया था. बॉयोटेक में एडमिशन के लिए अयन कल हैदराबाद जा रहा है. सब कुछ तय हो गया है. पर वह खुद डरा हुआ और व्याकुल है. उसके सामने अपने कॉलेज के दिन फड़फड़ा रहे […]



गिलहरी: रामकुमार सिंह

कथा / Fiction

उसके ननिहाल में एक भूरा सा कुत्ता था. उससे उसका खास लगाव था. वह छोटा सा था तब अपनी माँ के साथ आया करता था. वह खुद जब बहुत ही छोटा बच्चा था तो अक्सरकुत्ते की दुम दबा दिया करता था. कुत्ता उसे काट लिया करता था. लेकिन उसने इस दुश्मनी को दिल पर नहीं […]



और कितने यौवन चाहिए ययाति: अशोक कुमार पाँडे

कथा / Fiction

इतनी मार! ऐसा अत्याचार! जैसे किसी बनैले सुअर का शिकार कर रहे हों. और गालियाँ…सिगड़ी के कोयले-सी धधकती आँखों से टपकती नफ़रत. काले नाग सी फुंफकारती बेल्टों की सपाट बक्कल से निकलकर तीनों शेरों ने जैसे एक साथ हमला कर दिया हो (अचानक से ‘लोकतंत्र के चौथे शेर’ की याद आई थी कि ठीक उसी […]



यह एक निवाले की इच्छा थी चील की नहीं: अरुण देव

कथा / Fiction

काशी की ओर लौटती ट्रेन के शयनयान के अपर बर्थ पर लेटे अपने समय के चर्चित युवा नाट्य कर्मी शमशाद को अचानक यह एहसास हुआ कि समुद्र तल से १३० किलोमीटर ऊपर दौड़ रही इस ट्रेन में वह मर रहा है. पेट में जबर्दस्त मरोड़ ने उसे बाध्य कर दिया कि उसने जो भी खाया […]