आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

कथा / Fiction

The God of Global Village (An Excerpt from the Novel): Ranendra

कथा / Fiction

Several months passed after the agreement but there were no visible signs of implementation. The bigger companies like Shindalco had filled two or three abandoned mines by the road as window-dressing. Some of the important Asur youths like Rumjhum, Soma and Bhikha were given jobs in the office but they did not look particularly happy. […]



जाना नहीं दिल से दूर: भूतनाथ

कथा / Fiction

(A Tribute to Dev Anand, Sunset Boulevard & Moby Dick) आप मुझे पाणिनि बुला सकते हैं. उस समय कॉलेज में मेरा दूसरा साल ख़तम हो आया था लेकिन और दोस्तों की तरह कुछ छोटी मोटी नौकरी ढूँढने के बजाये, मैंने घर बैठना बेहतर समझा. ठीक छह मई की सुबह माता जी ने कपड़े धोना छोड़ […]



परछाईं की नाँव: शुभाशीष चक्रवर्ती

कथा / Fiction

नये सिले कपड़े की खुशबू उसके पास से आती है. एक वृद्ध महिला के साथ वह सीढ़ियाँ संभलकर उतरती है. वह जेनेट है, मैं जानता हूँ. उसकी कहानी ‘एनडेन्जर्ड लव’ का अनुवाद मैंने पढ़ा है. कहानी की शुरूआत एक युवक के परिचय से होती है. वह एक छात्र है जो अपनी प्रेम कहानियाँ जेनेट को […]



जख़्मों के रास्ते से: देसराज काली

कथा / Fiction

मैं धृतराष्ट्र नहीं, बस यूँ ही अंधा होने का ढोंग रचा रहा हूँ. संजय एक कोने में बैठा मन कुरुक्षेत्र का दृश्य देख रहा है. परंतु वह कुछ भी नहीं बोल रहा… या मैंने उसको चुप रहने की हिदायत दे रखी है. यह दृश्य मैं नहीं सुन सकता…. संजय के मन की आंखें देख सकती […]



बदला बहरूपिया: अजय नावरिया

कथा / Fiction

1 ‘गुनाह बहुत लुभावना होता है और बदला बहुत बहरूपिया…’ फादर की आवाज़ आ रही थी … डूबती …. टूटती …. जैसे पहाड़ी नदी में लट्ठे बहते आते हैं …. ‘पटेल के सन से झगड़ा नहीं करना है’ वह लभगभ चीख़ी थी, उसकी आँखों में मनचाहा पाने का आश्चर्य था. यू आर रियली ए डेविल. […]



Pairan: Saadat Hasan Manto

कथा / Fiction

This happened back when I was dirt poor.  I was paying nine rupees a month for a room that didn’t have water or electricity.  The building was horrific.  Gnats fell from the ceiling in the thousands, and rats were everywhere, bigger than any I’ve ever seen, so big that cats were scared of them. There […]



Janaki: Saadat Hasan Manto

कथा / Fiction

It was the beginning of the racing season in Pune when Aziz wrote from Peshawar, “I’m sending Janaki, an acquaintance of mine.  Get her into a film company in Pune or Bombay.  You know enough people.  I hope it won’t be too difficult for you.” It wasn’t a question of being difficult, but the problem […]



The Road To Gondwana (An Excerpt): Lars Andersson

कथा / Fiction

1920 के दशक में एक बीस साला घुमक्कड़, जहाज पर कोयला भरने का काम कर रहा स्वीडी नौजवान भारत आया और ठीक अपने बीसवें जन्मदिन पर उसने अपना जहाज छोड़ दिया, उसके ठीक पचास साल बाद इस आवारागर्द, हैरी मार्टिनसन को साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला – यह सब तथ्य है; मार्टिनसन से मिलता जुलता और उनकी ही किताबों के एक किरदार के नाम वाला एक व्यक्ति मार्टिन टोमासन 1924 में भारत आता है जहाँ बम्बई बंदरगाह पर एक धोबिन पुष्पी के साथ उसका अनूठा संबंध शुरू होता है – यह लार्श एंडरसन के उपन्यास वायेन टिल गोंडवाना का कथ्य हैः एक वास्तविक लेखक के जीवन को एक मुक्त फैंटेसी में बदलते खुद उसी की आविष्ट लिरिकल शैली में लिखे गये इस असाधारण स्वीडी उपन्यास का एक अंश (तेजी ग्रोवर के सौजन्य से) मारलेन डेलार्जी के अंग्रेजी अनुवाद में.

In the 1920s, Swedish writer Harry Martinson came to India as a runaway steamship stoker, abandoning his ship in Bombay just at the time of his 20th birthday, and exactly 50 years from there on he was awarded the Nobel Prize for Literature – that’s fact. A person curiously resembling Martinson and bearing a name from his books, Martin Tomasson, comes to India in 1924 and there begins his amazing relationship with an Indian washerwoman on the port of Bombay – this is Lars Andersson’s novel Vägen till Gondwana that turns a ‘real’ author’s life into a free-wheeling fantasy, imitating his own haunting, lyrical idiom. We thank Teji Grover for making an excerpt of this extraordinary piece of fiction available to us, in Marlaine Delargy’s English translation.



किस्सा बेसिर पैर: प्रभात त्रिपाठी

कथा / Fiction

An excerpt from Prabhat Tripathi’s new, unpublished novel.

प्रभात त्रिपाठी के नये, अप्रकाशित उपन्यास का एक अंश



समीक्षा: भूतनाथ

कथा / Fiction

A Hindi story by Bhootnath.

भूतनाथ की हिंदी कहानी.