आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

मृत्युरोग: मार्ग्रीत द्यूरास

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तुम कहते हो: समुद्र।
वह पूछती है: कहाँ?
तुम कहते हो: वहाँ उस दीवार के पार।
वह फिर से सो जाती है।

कमसिन। वह कमसिन ही रही होगी। उसके बालों और कपड़ों में एक चिपकनी गन्ध होती होगी जिसे तुम पहचानने की कोशिश करते हो, और आख़िरकार अपने अनुभव के सहारे पहचान जाते हो। तुम कहोगे: हेलियोट्रोप और सिट्रन की गन्ध।
वह जवाब देगी: जैसा तुम कहो।

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