आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

मृत्युरोग: मार्ग्रीत द्यूरास

Pages: 1 2 3 4 5 6 7 8

*

वह पूछती है: और क्या शर्तें हैं?
तुम कहते हो वह कुछ न बोले, अपने पुरखों की औरतों की तरह जो आपको, आपकी इच्छा-शक्ति को पूरी तरह समर्पित होती है, कटनी के बाद खत्ते में थकी हुई किसान औरतों की तरह वश्य, और पुरुषों को नींद में अपने पास आने देती हैं। तो आप हौले-हौले उस आकार में सहज हो जाते हैं जो आपके आकार में ढलता रहता है, आपकी अनुकम्पा से जिस तरह भिक्षुणियाँ ईश्वर की ओर। इसलिए भी ताकि धीरे-धीरे सवेरा होते-होते आप इस बात से कम डरें कि अपने जिस्म को कहाँ रखना है, किस ख़ालीपन को लक्ष्य करना है अपने प्रेम के लिए।
वह तुम्हें देखती है। फिर तुम्हें देखना
बन्द कर किसी और चीज़ को देखने लगती
है। फिर जवाब देती है।
वह कहती है तब तो यह और भी महँगा बैठेगा। वह तुम्हें बताती है कितना।
तुम्हे मंज़ूर है।

Pages: 1 2 3 4 5 6 7 8

Comments are closed.