कुछ और कवितायें, कुछ और कहानियाँ / Some More Poems, Some More Stories…
आतंक की थीम के बाहर कुछ प्रतिभाशाली युवा लेखकों का काम इस अंक में हैं – क्रिश्चियन वार्ड, शिरीष कुमार मौर्य, और समर्थ वशिष्ठ की कवितायेँ; गीत चतुर्वेदी की हिन्दी कहानी; और राना दास गुप्ता से उनके नए उपन्यास सोलो पर एनी जैदी की बातचीत. मीनाक्षी ठाकुर की हिन्दी कवितायेँ प्रतिलिपि में पहली बार प्रकाशित हो रही हैं.इसी खंड में हैं नंदकिशोर आचार्य और रुस्तम (सिंह) की कवितायेँ – दोनों के रचनाकर्म से प्रतिलिपि के पाठक परिचित हैं – और गुजराती कथाकार प्रवीणसिंह चावडा की गुजराती कहानी मीरा देसाई के अंग्रेजी अनुवाद में. | Apart from the theme of terror, we take great pleasure in presenting the work of some very talented young writers – poems by Christian Ward, Shirish Kumar Mourya and Samartha Vashishta; a short story by Geet Chaturvedi; and Annie Zaidi’s interview with Rana Dasgupta about his new novel Solo. Minakshi Thakur’s Hindi poems are being published for the very first time, in Pratilipi.We also have poetry by Nand Kishore Acharya and Rustam (Singh) – both familiar names for Pratilipi readers – and a story by Gujarati writer Pravinsinh Chavda, in English translation by Mira Desai.
* Click to Readआ जाये मृत्यु जब भी वह आती है : नंदकिशोर आचार्य लोग सपनों की बातें करते थे: रुस्तम (सिंह) मैं नैनीताल में लखनऊ के पड़ोस में रहता हूँ : शिरीष कुमार मौर्य A Brief History of Electricity: Christian Ward हर की पौड़ी से ख़त: मीनाक्षी ठाकुर |