हँसो कि तुम पर निगाह रखी जा रही है / Big Brother’s Watching You
भारत में लोकतंत्र पर, एक जीवन पद्धति के रूप में स्वराज पर पहला सांघातिक आक्रमण आपातकाल के रूप में था – एक ऐसा राजनीतिक निर्णय जिसने एक भारतीय (नागरिक) के राष्ट्र राज्य के साथ संबंध को हमेशा के लिये बदल दिया. लोकतांत्रिक अधिकारों के स्थगन/हनन और सेंसरशिप के साथ साथ यह स्वाधीन भारतीय मनुष्य के चित्त में एक सर्वथा नये किस्म के आतंक – सर्विलेंस – का, आर्वेलियन डिस्टोपिया का पहला, पीड़ापूर्ण दृष्टांत था.
इस खण्ड में है आपातकाल के समय की हिन्दी पत्र पत्रिकाओं और सेंसरशिप पर अमरेंद्र शर्मा का शोध पत्र. |
The first deadly attack on Indian democracy, on Swaraj as a way of life, came in the form of Emergency – a political decision that forever changed the way an Indian (citizen) related to the nation-state. Along with censorship and the suspension/erosion of democratic rights, it was also the first, painful introduction of Indian citizens to an entirely new sort of terror – that of the Surveillance State, of the Orwellian dystopia.
In this feature, we present Amarendra Sharma’s paper on the censorship of Hindi newspapers, magazines etc. during Emergency. * Click to Readकला माध्यम, पत्र-पत्रिकाएं और आपातकाल: अमरेन्द्र कुमार शर्मा |