भूमंडलीय की हिंसा / Violence of the Global
भूमंडलीय (ग्लोबल) हमारे समय का संभवतः सबसे संक्रामक उपसर्ग है उतना ही जितना कभी ‘आधुनिक’ हुआ करता था. आतंकवाद के साथ भूमंडलीय का अर्थ मुख्यतः ‘भौगोलिक’ है – लेकिन उसका एक ध्वन्यार्थ पश्चिमी दुनिया में ‘गैर-पश्चिमी’ भी है. फ्रांसीसी चिंतक बॉद्रिला ‘ग्लोबल’ (= ‘प्रौधौगिकी’, ‘बाज़ार’, ‘पर्यटन’, ‘सूचना’) को ‘यूनिवर्सल’(= ‘मानवाधिकार’, ‘स्वतंत्रता’, ‘संस्कृति’, ‘लोकतंत्र’) से अलगाते हुए, आतंकवाद को भूमंडलीय का ‘समकालीन जोड़ीदार’ बताते हैं और आतंकवाद को ऐसी संस्कृतियों के ‘अपमान’ की अभिव्यक्ति की तरह पढ़ते हैं जिन्हें यह अहसास सालता है कि उन्होंने पश्चिम से लिया बहुत कु़छ, पर उसे दिया क्या?
अमिताव कुमार द पोर्टे्ट ऑव द ऑर्टिस्ट एज ए यंग टेररिस्ट में काफ़्काई और आर्वेलियन दुस्वपनों की एक ‘सच्ची’ कथा बयान करते हैं जिसमें उत्तर-9/11 अमेरिका में एक मुस्लिम अपने को ‘क्लीन’ साबित करने के लिये वह काम अपने हाथ में ले लेता है जो राज्य करना चाहता है – सर्विलेंस. पैंतीस वर्षीय हसन ईलाही ने अपनी हर गतिविधि का, हर हरकत का वीडियो या फोटोग्राफ़ या स्कैन अपनी वेबसाईट पर लगा रखा है ताकि राज्य को पता रहे वह क्या कर रहा है. यह एक अनोखा, मार्मिक, ‘आतंककारी’ और बेहद उदास करने वाला दृष्टांत है – मनुष्य की बुनियादी आज़ादी के नाम एक शोकगीत. |
“Global” is possibly the most pernicious prefix of our times, much like “modern” used to be once. In the context of terrorism, the meaning of “global” is mostly geographical – but one of its resonances in the western world is also “non-western”. The French thinker Baudrillard, while separating “global” (= “industrial”, “market”, “tourism”, “information”) from “universal” (= “human rights”, “independence”, “culture”, “democracy”), calls terrorism the “present partner” of the global and reads terrorism as the expression of the insult to such cultures who feel humiliated by the thought that they have taken much from the West, but not given anything back.
In The Portrait of an Artist as a Young Terrorist, Amitava Kumar tells the true story of a Kafkan/Orwellian nightmare in which a Muslim artist living in post-9/11 America, to prove himself “clean”, takes upon himself what the state wanted to do – Surveillance. 35 year old Hasan Elahi took photographs and videos of his each and every move and put them up on his website so that the state could see what he was up to. A unique, affecting and depressing tale – a dirge for the loss of fundamental human freedom. * Click to Readभूमण्डलीय की हिंसा: ज्याँ बाँद्रिला A Portrait of the Artist As A Young Terrorist: Amitava Kumar |