आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

हिन्दी और अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशक / Hindi and the International Publisher

यह एक दुखद तथ्य है कि हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओँ के साहित्य को लेकर भारत से बाहर दिलचस्पी और जानकारी दोनों ही बहुत कम है और यह और भी दुखद विडम्बना कि भारत से बाहर भारतीय अंग्रेजी लेखन की भारत/भारतीय लेखन के एकमात्र, ‘काबिल’ प्रतिनिधि के रूप में स्वीकार्यता बढ़ रही है. इसका एक कारण हिंदी का प्रकाशन तंत्र भी है. पहले यात्रा-पेंग्विन और अब हार्पर कॉलिन्स ने हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाओँ में प्रकाशन शुरू किया है. प्रतिलिपि की यात्रा बुक्स की निदेशक नीता गुप्ता से और हार्पर कालिंस इंडिया में हिंदी संपादक मीनाक्षी ठाकुर से हिंदी बाज़ार, हिंदी संस्कृति, और हिन्दी साहित्य के अंतर्राष्ट्रीय प्रोजेक्शन की संभावनाओं पर बातचीत. It is a sad truth that there is not much interest or information outside India, regarding literature in Hindi and in other Indian languages. It is also sadly ironic that Indian writing in English is taken to be the sole, “worthy” representative of India/Indian writing. In Hindi’s case, one of the many reasons for this is the Hindi publishing machinery. First, Yatra/Penguin, and now Harper Collins, have started publishing in Hindi and other Indian languages. Presented here are Pratilipi’s interviews with Director of Yatra Books, Neeta Gupta, and Hindi editor at Harper Collins India, Minakshi Thakur, about the Hindi market and the possibilities of projecting Hindi culture and literature internationally.

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नीता गुप्ता से प्रतिलिपि की बातचीत

Minakshi Thakur Talks to Pratilipi

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