आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

हँसो कि तुम पर निगाह रखी जा रही है / Big Brother’s Watching You

भारत में लोकतंत्र पर, एक जीवन पद्धति के रूप में स्वराज पर पहला सांघातिक आक्रमण आपातकाल के रूप में था – एक ऐसा राजनीतिक निर्णय जिसने एक भारतीय (नागरिक) के राष्ट्र राज्य के साथ संबंध को हमेशा के लिये बदल दिया. लोकतांत्रिक अधिकारों के स्थगन/हनन और सेंसरशिप के साथ साथ यह स्वाधीन भारतीय मनुष्य के चित्त में एक सर्वथा नये किस्म के आतंक – सर्विलेंस – का, आर्वेलियन डिस्टोपिया का पहला, पीड़ापूर्ण दृष्टांत था.

इस खण्ड में है आपातकाल के समय की हिन्दी पत्र पत्रिकाओं और सेंसरशिप पर अमरेंद्र शर्मा का शोध पत्र.

The first deadly attack on Indian democracy, on Swaraj as a way of life, came in the form of Emergency – a political decision that forever changed the way an Indian (citizen) related to the nation-state. Along with censorship and the suspension/erosion of democratic rights, it was also the first, painful introduction of Indian citizens to an entirely new sort of terror – that of the Surveillance State, of the Orwellian dystopia.

In this feature, we present Amarendra Sharma’s paper on the censorship of Hindi newspapers, magazines etc. during Emergency.

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कला माध्यम, पत्र-पत्रिकाएं और आपातकाल: अमरेन्द्र कुमार शर्मा

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