बच्चों के लिए विविध भाषाओँ की कविताएँ / Poems from Various Indian Languages
अनुवाद एवं प्रस्तुति: प्रभात
मैथिली कविता: तरेगन मामु हो
एक तेरगन
दू तरेगन
तरेगन मामु हो
आपने खाएला झींगा मछरिया
हमरा देर्इला झोर
तोहरा दुअरिया अब ना जैइबो
टप-टप टपके लोर
गुजराती कविता: टबुक-टबुक: नटवर पटेल
छोटे तारे
लबुक-लबुक
बड़े तारे
झबुक-झबुक
डूंगर के पीछे से
चांद कैसा देखे
टबुक-टबुक
कुमाउनी कविता मोहन जोशी
दीदी दीदी मेरी बात सुन
मिटटी खोदने में मेरी मदद कर
बहिन बहिन मेरी बात सुन
क्या करेगी मिटटी खोदकर
घर लीपूँगी आँगन लीपूंगी
और उसके बाद
मिटटी के बर्तन बनाऊँगी
झारखण्ड के लोकगीत का अंश: भाभी तुम्हारे बच्चे
प्रस्तुति-मनीष पांडेय
ऐ भाभी तुम्हारे बच्चे चुनू-मुनू
नदी-नदी घूम रहे हैं
चिमिट साग ढूँढ रहे हैं
उनके पैर कीचड़ में हो गए हैं
मेवाती कविता: नींदड़ली
नींदड़ली भारी मसतानी रे आवै नींदड़ली
नींदड़ली भारी मसतानी रे आवै नींदड़ली
रसोर्इ जाऊँ तो आवै नींदड़ली
ओ मेरा चकला थेर्इ-थेर्इ कूदै रे
आवै नींदड़ली
खेतों में जाऊँ तो आवै नींदड़ली
म्हारो खुरपो थेर्इ-थेर्इ कूदै रे
आवै नींदड़ली
सोने को जाऊँ तो आवै नींदड़ली
म्हारो तकिया थेर्इ-थेर्इ कूदै रे
आवै नींदड़ली
रसोर्इ जाऊँ तो आवै नींदड़ली
म्हारो तवौ थेर्इ-थेर्इ कूदै रे
आवै नींदड़ली
सेजों पे जाऊँ तो आवै नींदड़ली
म्हारी खटिया थेर्इ-थेर्इ कूदै रे
आवै नींदड़ली
नींदड़ली घेसड़ौ बजावै रे
आवै नींदड़ली
ब्रज कविता: झूठन के बने मकान
झूठन के बने मकान
झूठ हम नांय बोलैं
नाय मानौ चलौ दिखाय लावैं
छज्जे पर मक्का बोय दर्इ
कमरे में बोय दर्इ र्इख
झूठ हम नांय बोलैं
नाय मानौ चलौ दिखाय लावैं
इक कुत्ता कपड़ा धोय रयौ
वाकौ पिल्ला करै पिरेस
झूठ हम नांय बोलैं
नाय मानौ चलौ दिखाय लावैं
एक छोरी फेरा पड़ रहे
आले में डटीअ बरात
झूठ हम नांय बोलैं
नाय मानौ चलौ दिखाय लावैं
मेरे साठ आदमीन कौ कुनबा
गिलास में रंध रही खीर
झूठ हम नांय बोलैं
नाय मानौ चलौ दिखाय लावैं
एक मेंढ़की नै सादी रोप दर्इ
वाकौ कछुवा लावै भात
झूठ हम नांय बोलैं
नाय मानौ चलौ दिखाय लावैं