असबाब में देवता: वार्षिकांक विशेष कविता / A God in Your Luggage: Anniversary Special Poetry
अशोक वाजपेयी और वीरेन डंगवाल से अधिक एक दूसरे से भिन्न दो कवि हिन्दी में नहीं हैं. एक मध्यकालीन फ्रेंच मठ/गाँव आविन्यों में रहते हुए लिखी गई अशोक वाजपेयी की कविताओं और कविता-जैसे-ही गद्य में अनुपस्थिति, ईश्वरहीनता, नश्वरता, जीवन में कविता की जगह और सब चीज़ों के पड़ोस के रूप में पृथ्वी जैसी उनके लेखन की कुछ स्थायी थीमें एक दूसरे देश-काल की छाया में पुनर्विन्यस्त हैं. वीरेन डंगवाल की कविता कटरी की रुकुमिनी और उसकी माता की खंडित गद्यकथा विट् और उम्मीद के उनके काव्यशास्त्र में एक कथात्मक, गद्यमय विषयांतर है जो इधर उनकी अन्य कविताओं में भी घटित हुआ है. दोनों कवि राहुल सोनी के अंग्रेज़ी अनुवाद में. आर्लीन ज़ीद और तेजी ग्रोवर के अंग्रेज़ी अनुवादों में कमलेश और शिरीष ढोबले की हिन्दी कविताएँ; इन्ग्रिड स्टोरहॉमेन की नार्वीज़ी कविताएँ तथा स्वयं अपनी काव्य-श्रृंखला कठपुतली की आँख तेजी के ही अंग्रेज़ी अनुवाद में; और अनिरुद्ध उमट की नयी हिन्दी कविताएँ हमारा परिचय ऐसी आवाज़ों से कराती हैं जो हाशिये और एकांत में रहती हुई अपनी भाषा में, और मानवीय अस्तित्व के हमारे अनुभव में कुछ बिल्कुल विलक्षण जोड़ती रहती हैं. खंड में लक्ष्मी आर्य की तीन अंग्रेज़ी और समर्थ वाशिष्ठ की तीन हिन्दी कविताएँ भी शामिल हैं.
There cannot be two more different poets in Hindi than Ashok Vajpeyi and Viren Dangwal. Ashok Vajpeyi’s poems and poem-like-pieces written while staying at a chartreuse in Avignon revisit some of his poetry’s permanent themes, i.e. absence, godlessness, mortality, poetry’s place in life and the earth as the neighborhood of all things – but under the shadow of a foreign time and space. Viren Dangwal’s poem Katri Ki Rukmini is an excursion into prose within his poetics of wit and hope, a tendency also seen in some of his other recent work. Kamlesh and Shirish Dhoble’s poems, in Arlene Zide and Teji Grover’s translation, Ingrid Storholmen’s Norwegian poems and Teji’s own poem-sequence Puppet’s Eye, in Teji’s translations, and some new poems by Aniruddh Umat introduce us to some voices that, while living in solitude, have added something extraordinary to both language and human experience. The feature also includes poems by Samartha Vashishtha and Lakshmi Arya.
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Rukmini of the Riverside and Her Mother – Their Fragmented Story: Viren Dangwal
More Substantial Than Dream: Kamlesh
The Reluctance of a River: Shirish Dhoble
Neither Name Nor Snow: Ingrid Storholmen
श्वेत श्याम स्मरणः अनिरूद्ध उमट