सरेनिटी का संगीत: भारत भूषण तिवारी
Women Washing Clothes in the Kabul River:Marilyn Zuckerman
Yesterday,
shuttered in houses
the windows painted black
today, they curve around
the banks of this river
like women gossiping
in a painting by Renoir.
Colorful clothes,
purple, bright green and orange
reflected in the water,
overflowing baskets,
brilliant burqas
worn carelessly or tossed aside
feet bare, hair still covered,
old fashioned pantalets
showing beneath skirts
as they bend to their task.
They are molting
shedding the decades,
letting silvery coils
of water flow around them,
tiny fish sport about their toes.
In the foreground
a girl child
skirts upraised
is ankle deep in the stream
an expression on her face
of quizzical delight.
Now,
in case new tyrants come
before they are shut up again
they rush to taste once more
old lives of ordinary happiness.
भारतभूषण पिछले एक दो साल से हिंदी पाठकों के लिए अमरीकी और लातिन अमरीकी साहित्य से चयनित उत्कृष्ट सामग्री अनुवाद कर रहे हैं। यह सराहनीय प्रयास है। खास तौर पर इसलिए कि उनके मूल सामग्री के चयन के साथ समकालीन साहित्य और समाज की गहरी समझ है। इतना अच्छा आलेख प्रकाशित करने के लिए प्रतिलिपि को धन्यवाद।
हिंदी में एक सही सामाजिक और राजनीतिक समझ वाले अनुवादक बहुत बहुत कम हैं. लाल्टू जी ने ठीक कहा है. भारत भाई से अब उम्मीदें बहुत सारी हैं और ख़ुशी की बात है कि वे उन्हें निभाते चले जा रहे हैं. अशोक पांडे के बाद मुझे भारत का ही नाम दिखाई देता है.
They are molting
shedding the decades,
letting silvery coils
of water flow around them,
भाई उपरोक्त पंक्तियों का अनुवाद क्या इस तरह संभव हो सकता है:
वे झर रही हैं
दशकों पुराने पंख,
चारों ओर फ़ैले पानी में उठती
चांदी सी चमकती हिलौरें के साथ
मैं सिर्फ़ जो अभिव्यक्ति की नकारात्मकता
“वे केंचुल उतार रही हैं
दशकों की ओढी हुई,
के कारण दिख रही है, उस वास्ते ही कह रहा हूं। अन्यथा अनुवाद का मेरा कतई अनुभव नहीं।
Bahut gehra abhyaas kiya hai Bharatbhooshan ji ne is kavita ka anuvaad karte hue. Kavita ka anuvaad karte hue, mool lekhak aur uski manasthiti ka vishleshan, saath hi kavita ke parey jaakar uski anya kavitaaon ke saath tulnaa, yeh baatein anuvaadak ki ‘professionalism’ bayaan karti hai. Bahut kaabil-e-taarif prayaas hai Bharatbhooshanji ka. Aapke aagaami anuvaadon ka hamein intezaar rahega.