आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

8 Malayalam Poets in Santosh Alex’s Translations

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चढावे के पहले: पवित्रन तीकूनी

सुबह को
तेरा चाकू मुझ पर जीतेगा.
टुकड़ों में काट
खूंटी में लटकाकर
खून से सने हाथों से
तू सिक्कों को
गिन रहा होगा.
व्यापार की संभावना के अनुसार
तू मेरा नाम बदल रहा होगा.
चढ़ावे के बाद के
इस धोखे को
मैं क्षमा कर सकता हूँ.
लेकिन
इस अंधकार में
इस असहनीय दल दल में
तूने
मुझे इस प्रकार बांध दिया है कि
मैं हिल डुल भी न पाऊँ
इसे मैं
कैसे माफ करूँ ?

अनामिका: पी .रामन

हे शिव
गले में विष होने के बावजूद
भी तुम्हारी मृत्यु नहीं हुई

गले में सीटी फँसने के कारण
बच्चे की मृत्यु हुई

कफ़ के कारण
बूढे की मृत्य हुई

गले में मछली फँसने के कारण
मछुवारे की मृत्यु हुई

हे शिव
गले में विष होने के बावजूद
भी तुम्हारी मृत्यु नहीं हुई

गले में सीटी फँसने के कारण
बच्चे की मृत्यु हुई

इतिहास: ए. अयप्पन

इतिहास का अध्यापाक हकलाता था
उन्होंने इतिहास की सच्चाईयों को
हकलाते हुए निगल लिया

उनके लिए इतिहास माने
अपने ही परिवार का
गुण गान करना है

उनका बेटा
कागज़ की नाव बनाने में
माहिर है

एक दिन उसने
इतिहास की गठरी को तोड
हवाई जहाज, जहाज और नाव बनायी

हवाई जहाज उड़ी
नाव और जहाज
पानी में नीला और लाल बन गए

स्वप्निल चींटी: पी.पी .रामचंद्रन

धरती के जीवन से तंग आकर
एक चींटी
सूरज की एक किरण पर चढ़कर
स्वर्ग की ओर गयी

रास्ते में आराम करने के लिए
वह मेरी खिड़की की सलाखों पर ठहरी
थकान के कारण
वह जल्दी सो गयी

उसके पारदर्शी शरीर से
उसका देखा सपना
मुझे साफ दिखाई दिया.

खून से भरा
मंदिर का प्रांगण
पटाखे और नगाड़ो की आवाज़ से
पर्यावरण प्रदूषित था

खेतो और सड़कों पर
धुआँ दिखाई देता था
मैं पूरी रात जागा
और सुबह को सोया
जब एक पटाखा फूटा

चींटी जागी
यह न जानते हुए कि
उसके सपनों की चोरी हो गई थी

तब तक सूरज अस्त हो चुका था

चींटी सलाखों से फिसलकर
जमीन पर गिर पड़ी

बारिश: वी.एम. गिरिजा

मेरा बारिश में बाहर जाने का मन नहीं करता
यह तभी होता है जब तुम बाहर निकलो
बालों को सहेजती उँगलियों-सा
चुंबन के भाव-सा
लंबे गर्दन को घेरते दुधीले समंदर सा
बिखरी हुई मोतियों-सा
पेट
जांघ
पैर और उंगलियों में बहते गर्म प्रवाह सा
मानो खोया-खोया-सा है
मानो पानी में नाचना
मानो खुशी में नाचना…
बारिश…

अपराध: संतोष अलेक्स

मैं कोयल का गाना सुनाना चाहता था
मै फसलों की कटाई का गीत सुनना चाहता था
मैं खेवट का गीत सुनना चहता था.

मैं नदी का संगीत सुनना चाहता था
भ्रमर की आवाज़ सुनना चाहता था
बाँस की आवाज़ सुनना चाहता था

मैं
उत्तरी और दक्षिणी हवा के संग
उडना चाहता था

उँची आवाज़ सुनकर
मैं बाहर आया
कोयल,कृषक , खेवट
नदी, भ्रमर ,बाँस
उत्तरी हवा और दक्षिणी हवा को
हथकडी पहनाकर ले जा रहे थे
आवाज़ का प्रदूषण फैलाने के कारण

मलयालम में: पी. एन .गोपनीकृष्णन

इस हफ्ते मैंने
एक फ्राँसिसी उपन्यास पढ़ा
इटल का एक सिनेमा देखा
संस्कृत व्याकरण में मुझे शंका हुई
और चोट पर
एलोपैथी का मल्हम लगाया

हिंदुस्तानी संगीत सुनकर
मैं खुश हूँ
मेरी जरूरत है
आंध्र का राशन.

दोपहर को
मैं जम्हाई लेता हूँ
मलयालम में

गीत: एस. जोसफ

तराई में स्थित घर में
एक व्यक्ति रहता है
शाम होते ही उसका गीत
तराई को आलिंगन कर जाता है
इस गाने के अर्थ के बारे में मत पूछो
शायद यह अर्थवान या अर्थहीन हो सकता है.
इन सब चीजों को भूल जाओ.
इस पेड़ की छांव में बैठकर
उस गीत को सुनेंगे.
यह धरती और प्रकृति कितने सुंदर हैं ?
क्या तुम्हे मालूम है कि इस पेड़ में कितने पत्ते हैं ?
इस गीत में भी ऐसा ही कुछ है .

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2 comments
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  1. joseph je ka poem …
    song …. boht acha laga .gana kuchbe ho dilko chuna hi .tab dil bhe useke sat gane lgta hi

  2. sundar prayas… shubhakamanae..

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