आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

रामचंद्र गाँधी को याद करते हुए / Remembering Ramchandra Gandhi

जून २००७ में दार्शनिक रामचंद्र गाँधी नहीं रहे. उनका स्मरण करती हुई तेजी ग्रोवर की कवितायेँ और उनकी अनूठी पुस्तक सीता’ज किचन के पूर्वकथन से एक अंश जिसमें उनके बचपन के दुस्स्वप्न के अख़बारों में लिपटे हुए बम एक साथ कई चीज़ों का रूपक बन जाते हैं. The philosopher Ramchandra Gandhi passed away in June 2007. Presented here are Teji Grover’s poems dedicated to his memory and excerpts from the Preface to his extraordinary book Sita’s Kitchen in which the newspaper-wrapped bombs of his childhood nightmares turn into metaphors of multiple significations.

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Bombs Wrapped in Newspapers: Ramchandra Gandhi

रामू को जाली के पार से देखते हुए: तेजी ग्रोवर

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