आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

लोक-प्रिय / Lok-Priya

इस अंक से हम एक नया खंड उन कला रूपों पर आरंभ कर रहे हैं जिन्हें लोकप्रिय/पॉपुलर कहा जाता है. पिछले कुछ वर्षों में इन रूपों पर न सिर्फ़ बहुत विचार-सघन, उत्तेजक विमर्श हुआ है, स्वयं इन रूपों में नवाचार और आत्मसजगता के अप्रत्याशित संयोजन देखने को मिले हैं.

लोक-प्रिय की पहली पेशकश में पहले भारतीय ग्राफिक नॉवेलिस्ट (चित्र-गल्पकार / गल्पचित्रकार?) सारनाथ बनर्जी के उपन्यास द बार्न आऊल’स वंडरस केपर्स का एक अंश गिरिराज किराड़ू के हिन्दी अनुवाद में; महाकाव्यों की पुर्नप्रस्तुति और एसएफएफ व क्रॉस-जॉनर फिक्शन के लिये प्रसिद्ध अशोक बैंकर की एक कहानी और श्रीधर/थायल का संगीत.

In this issue we start a new section devoted to those art forms which are generally deemed “popular”. Not only have these forms engendered thought-provoking discourse in recent years, they have also exhibited unprecedented levels of experimentation and self-reflexive awareness.

Lok-Priy’s first selection presents: an excerpt from graphic novelist, Sarnath Banerjee’s novel The Barn Owl’s Wondrous Capers, translated into Hindi by Giriraj Kiradoo; a short story by Ashok Banker, famous for his retellings of mythological epics, as well as for his SFF and cross-genre works; and music by Sridhar/Thayil.

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My Sister, The Moon: Ashok Banker

चूड़ामणि दत्त: सारनाथ बनर्जी

Sridhar/Thayil

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