आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

Tove Olga Aurora / टूवे ओल्गा ऑरोरा: Lars Lundkvist / लार्श लुण्डक्विस्ट

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Daily Life

V

This happened during one of all the wars.
We lived in the sign of the Lion, but knew nothing
about torture chambers, the scourge and oppression.

We went down to the city, I and my wife
Tove Olga Aurora.
From foreign lands in case princes came
to look at a bible forged in metal
and a herb, Linnáea borealis.

On the churchsteps stood a priest swearing –
behind the back the boys were running out with pennies
in the mouth, out of the church,
into the forest, over the mountains, down in the lake.

The square shone with eggs and flowers, tomatoes
and berries, and in the park smoke arose from pipes
in the soil.

Suddenly shutters were opened by those dressed in blue
with an awkward language:

“SETIAM, TERAS TAVJEKOS!
Enigmatically beautiful, a sight today –
snake in the dead one’s mouth.”

So this was happening in the month of August
before we knew about the scourge
and the crematorium furnaces in secret rooms.

We waited in the shadows under the trees
and drank water from the pump.
An old man played on the saw and sang:

“The rat will escape from the febrile tongue,
the breaker’s wheel whirling away like a hawk
over cities and in navel villages,
ravaged parishes and remote suffering.

Cheese in the birch will the shepherd hang,
milk in bubbles for the widow’s son,
and the poisonous spider in the bark box
transformed into a fish.”

When the cars came children waved with flags
and the bells rang. I lifted my wife Tove Olga Aurora,
high over my head for her to see.

And there
among the dark leaves
in the warm sun,
surrounded by birds and bees,
she gave birth to our first child.

VI

Then we were hiding in tender leaves
to be out on the river.
We discovered distances from high
towers and deciphered a track in the snow.

Ping-pong and politics
we learnt in smoky rooms
and the language of the buds
in a pinewood grove.

My wife!
Today we put the children
on a stick in the forest.

Let them scream about the length of skirts,
and democracy in school,
about peace fronts and the chimney sweepers’ caps
and parents’ authority –

we put all the words in a heap
behind the church of Vaksala,
the coffee grinder is our witness.

You say:

Royal is the name of your typewriter –
citizen your watch.
In the sign of the Fishes shall
Venus shine

VII

If you were not there
the words I write will be
spots on an indistinct map. Now I can read it!

Sysslomansgatan: your red coat.
Bävers Gränd: a small ring.
Block Vajan:
an injured bird on our bed
and the cradle that’s blue.

After 25 years together the words are
carefully and lovingly marked
not all of course, I can say:

– where are the scissors in the snow
and the silverknife?

You can answer
– Maria has stitched a table-cloth.

But if you weren’t there,
if you weren’t there, my love –

VIII

I see a red fence
with a door and huge key.
The sky is grey, it’s raining.

Behind the fence there’s a garden.
Behind the fence there’s a garden,
I say silently to myself
and look at the key.

Soon it will start moving,
the door will be opened and my wife
will appear with flowers in her hands.

Can keys think,
doorhandles and coffecups?

Next to the door is a poster
with written letters –
perhaps I ought to read it,
but I don’t have the time, I wait.

Then the clouds tear apart!
The sparrows fall like leaves in the wind
and the sun sits in a bicycle chain!

My wife appears, we’re going home.
In her navel lives a butterfly.

IX

Slam the door,
down the stairs
two steps at a time!

The sun shines
and everything sparkles
as sloeberry wine
and insane snow.

That’s how it’s a morning sometimes
when we make love.

The welder stands in his pit
and flashes among taps
and weird tubes.
I long to say:

– Good day Mr. Welder.
How are you?
But perhaps he becomes angry
and gives me a blow on the chaps.

At the square I face
violent words:
Pull! Shout! Out! In!
and headlines
about starving children.
I buy a loaf of bread, butter
and a bunch of parsley.

On my way home I count
the welder’s holes – 16 holes
where he stood in autumn
in the cold blast, rain and snow.
I feel ashamed
and I go a long way round,
glad that he doesn’t see me.

But the sun shines,
everything sparkles!
And the cold buffet manageress
sings a hymn in her kitchen
and in the window a lamp is burning.

Up the stairs
two steps at a time,
slam the door, hey!

X

It’s rustling in the sprigs:
a mouse between hazel and rowan.

Then everything is still in the swamp.
In the south a tita, in the north the crematorium bell

in the city and a cranberry sparkling in the snow,
a love pawn in October.

*

If I would die right now
with a stone and a piece of wood in my hand –

someone might wonder but no one will understand,
no one will understand
the kinship I feel with the dead
and the feeling of life in my hand.

Only you.

रोजमर्रा जीवन

V

यह तमाम युद्धों में से एक के दौरान हुआ था।
हम सिंह राशि में रहते थे, लेकिन कुछ नहीं जानते थे
यातना कुठरियों, कोड़ों और अत्याचार के बारे में।

हम शहर की ओर गये, मैं और मेरी पत्नी
टूवे ओल्गा ऑरोरा।
अगर कहीं परदेस से राजकुमार आ जायें
धातु की बनी हुई बाइबल देखने
और लिनेइया बुरियालिस नामक एक जड़ी।

गिरजाघर की सीढ़ियों पर खड़े-खड़े एक पादरी गाली दे रहा था –
पीठ पीछे लड़के बाहर भाग रहे थे
सिक्के मुँह में ठूँसे, गिरजे से बाहर,
जंगल के भीतर, पर्वत के पार, सीधे झील में।

स्कवेयर अण्डों, फूलों, टमाटरों से चमक रहा था
और वनबेरियों से, और में धुँआ उठ रहा था पार्क में
पाइपों से जो मिट्टी में गड़ी थीं।

अचानक शटर खोल दिये नीचे कपड़े पहने आदमियों ने
जो एक अटपटी ज+बान बोल रहे थे :

“SETIAM, TERAS TAVJEKOS!
जादू-भरा सुन्दर दृश्य है आज —
मृतक के मुँह में साँप।”

तो यह हो रहा था अगस्त के महीने में
इससे पहले कि हमें कोड़ों का पता चलता
और गुप्त कमरों में शवदाहक भट्टियों का।

हम लोग पेड़ों के नीचे छाया में प्रतीक्षा करते रहे
और पम्प से पानी पीते रहे।
एक बूढ़ा आदमी आरी बजाते हुए गा रहा था :

“चूहा बचकर निकल जायेगा तपी हुई जीभ से,
तोड़ने वाले का चक्र बाज़-सा मण्डराता है
शहरों के ऊपर और नाभि के गांवों में,
उजड़े हुए जनपद और दूर के दुख पर।

भूर्ज के वृक्ष पर पनीर टाँग देगा गड़रिया,
विधवा के पुत्रा के लिए बुलबुलों में दूध,
और छाल की डिबिया में जहरीली मकड़ी
जो मछली में बदल गयी है।”

जब कारें आयीं बच्चों ने झण्डे हिलाये
और घण्टियाँ बजने लगीं।
मैंने अपनी पत्नी टूवे ऑल्गा ऑरोरा को उठाया,
अपने सिर से भी ऊँचा ताकि देख सके वह।

और वहाँ
गहरे रंग के पत्तों के बीच
गरम धूप में,
पक्षियों और मधुक्खियों से घिरी,
उसने हमारे पहले बच्चे को जन्म दिया।

VI

तब हम कोमल पत्तों में छिपे बैठे थे
नदी जाने को।
हमने ऊँची मीनारों के फ़ासले ढँूढे
और बर्फ में एक रास्ता बूझ लिया।

टेबल-टेनिस और राजनीति
हमने धुँआसे कमरों में सीखे
और कलियों की भाषा
चीड़ों के झुरमुट में।

मेरी प्यारी पत्नी!
आज जंगल में हमने
बच्चों को एक लकड़ी पर चढ़ाया।

उन्हें चिल्लाने दो स्कर्टों की लम्बाई
और स्कूलों में लोकतन्त्रा के विषय में,
शान्ति के मोर्चों, और चिमनी साफ़ करने वालों की टोपियों
और माता-पिता की सत्ता के विषय में –

सारे शब्दों को हमने एक ढेरी में
वाक्साला के गिरजाघर के पीछे रख दिया है,
कॉफी ग्राइण्डर हमारा गवाह है।

तुम कहती हो :

— तुम्हारे टाइपराइटर का नाम रॉयल है,
सिटिज+न तुम्हारी घड़ी।
वीनस चमक उठेगी
मीन राशि में!

VII

अगर तुम नहीं होतीं
वे शब्द जो मैं लिखता हूँ
एक अस्पष्ट नक्शे पर धब्बों में बदल जाते।
अब मैं पढ़ सकता हूँ!

सिस्लोमाँसगाटाँ : तुम्हारा लाल कोट
बैवेर्स ग्रैण्ड : एक छोटी-सी अँगूठी
ब्लॉक वायान :
हमारे बिस्तर पर एक घायल पक्षी
और एक हिण्डोला जोकि नीला है।

पच्चीस साल के साथ के बाद शब्द
ध्यान से और प्रेम से व्यक्त होते हैं
सभी तो नहीं, मैं कह सकता हूँ :

— बर्फ़ में कैंची कहाँ है
और चाँदी का चाकू?

तुम जवाब दे सकती हो :
– मरिया ने मेज़पोश सिल दिया है।

लेकिन अगर तुम नहीं होतीं,
अगर तुम नहीं होतीं, प्रिये –

VIII

मैं एक लाल बाड़े को देखता हूँ
दरवाज़ा है उस पर और एक बड़ी सी चाबी है।
आसमान स्लेटी है, पानी बरस रहा है।

बाड़े के पीछे एक बगीचा है।
बाड़े के पीछे एक बगीचा है,
मैं चुपचाप खुद से कहता हूँ
और चाबी की ओर देखता हूँ।

शीघ्र ही वह हिलना शुरू होगी,
दरवाज़ा खुलेगा और मेरी पत्नी
हाथ में फूल लिये दिखेगी।

क्या चाबियाँ सोच सकती हैं,
दरवाजों के हैण्डल और कॉफ़ी के कप?

दरवाज़े के पास एक पोस्टर है
अक्षर लिखे हैं —
शायद पढ़ना चाहिए मुझे,
लेकिन मेरे पास वक्त नहीं है, मैं प्रतीक्षा करता हूँ।

फिर बादल फट जाते हैं!
गौरय्याँ हवा में पत्तों सी गिरती हैं
और सूर्य साइकिल की चेन में बैठ जाता है!

मेरी पत्नी आती है, हम घर जा रहे हैं।
उसकी नाभि में एक तितली रहती है।

IX

दरवाज़ा धड़ाम से,
ज़ीने से नीचे
दो कदम एक साथ!

सूर्य चमकता है
और हर चीज़ चमक जाती है
कृष्णबदरी की शराब
और पागल बर्फ़ की तरह।

कभी-कभी ऐसी ही सुबह होती है
जब हमने प्रेम किया था।

जनाब वैल्डर अपने गड्ढे में खड़े हैं
और चिनगारियाँ फेंकते हैं पानी के नलों
और विचित्रा ट्यूबों के बीच।
मैं कहना चाहता हूँ:

— प्रणाम वैल्डर साहब।
कैसे हैं आप?
लेकिन हो सकता वे बुरा मान जायें
और मेरे मुँह पर घूँसा दे मारें।

चौराहे पर मैं सामना करता हूँ
तीखे शब्दों काः
खींचो! चिल्लाओ! बाहर! अन्दर!
और सुर्खियाँ
भूख से मरते बच्चों के बारे में।
मैं एक डबल-रोटी और मक्खन खरीदता हूँ
और पारस्लि की एक गुच्छी।

घर लौटते हुए मैं गिनता हूँ
वैल्डर के छिद्र – १६ छिद्र
जहाँ वह पतझड़ में खड़ा था
ठण्डे झोंकों, बारिश और बर्फ़ में।
मुझे शर्म आती है
और मैं घूमकर लम्बा रास्ता ले लेता हूँ,
ख़ुश कि उसने मुझे देखा नहीं है।

लेकिन सूर्य चमकता है,
हर चीज़ चमकती है!
और ठण्डे भोजन की मैनेजर
अपनी रसोई में एक भजन गाती है
और खिड़की में एक लैम्प जल रहा है।

ज़ीने से ऊपर
एक साथ दो कदम,
दरवाज़ा धड़ाम से, हे!

X

टहनियों में सरसराहट हो रही हैः
रक्तकोल और पिंगल वृक्षों के बीच एक चूहा।

फिर दलदल में सब निश्चल है।
दक्षिण में एक वल्गुली, उत्तर में शवगृह की घण्टी

शहर में और एक करौंदा चमकता है बर्फ़ में,
अक्तूबर का प्रेम प्यादा।

*

यदि इसी समय मर जाऊँ मैं
एक पत्थर और लकड़ी का एक टुकड़ा लिये अपने हाथ में –

कुछ लोग हैरान होंगे,
लेकिन कोई नहीं समझ पायेगा

मृतकों के साथ क्या रिश्ता महसूस होता है मुझे
और अपने हाथ में जीवन की अनुभूति।

सिर्फ़ तुम।

Therefore

XI

All over the world, in all houses and chambers
and empty wardrobes, under blank currant leaves
and overturned boats in the snow.

Behind the watercans and bowls of roots,
on flat rocks with crevices and messages
from others who have loved flat rocks

at beaches and rivers, in Wanderer
Puppchen from 1911, between sheets
and pillow covers with the Tsar’s monogram.

Before the stove has been swept and the milk
has run out through chinks in the floor
and the bird-cherry tree is silvered with a spider’s thread.

When the spot in the roof changes its form
from butterfly and pupa into larva and egg
and the painting is visible on the whitewashed wall
and the frog turns into a bull.

In the spider’s house in Klockarbäcken,
two kilometres south of Kashmir.

*

As did Sara, the aged woman,
and Abraham the shepherd from Ur.
As did the horse and the donkey, the goat and the cow.

*

Because Mahendra Bir Bikram
has succeeded his father in Nepal
and Ananda Mahidol is dead in Siam.

Because my soul depends
on your soul and mine is worn
like a tailor’s trousers and yours as
a Windsor chair in Danish embassy.

Because the tiger is stronger
than the ox that’s white and chisels
and castirons are things made of metal.

“I don’t talk about
Home of Democracy
Washington, D.C.
I talk about you
whom I love.”

Because the door is open
and I see a red ball.
Because the ruler is straight
and a spoon is good to have

and you’re dressed in kettle-holders
and the blinds with triangular
windows and you sweeten my food
with honey in autumn.

Because someone urinates in the sky
over cities and parishes, landscapes
and countries

and one sits on the chair
and stands on the stone and weighs
on a scale macaroni and herring.

Because the sledgehammer should be lying at the blacksmith’s
and the plane with the carpenter himself,

not at a girdlemaker and at the ironing woman’s,
no, not even at the county ship’s pilot.

Because we’re sillier than snuff
and small as the rabbits that the baker
feeds with bread from a basket

when it thunders and the cuckoo calls
behind the ice-cream freezing plant by spastic children.

Because it’s Thursday
and it is seven
and we love, we love each other.

इसलिए

XI

पूरी दुनिया में, सभी घरों और कक्षों में
और कपड़ों की खाली अलमारियों में, काले बेरों के पत्तों के नीचे
और उलट गयी नावों और बर्फ़ में।

पानी के कनस्तरों और जड़ों के कटोरों में,
झिर्रियों और संदेशों से अटी सपाट चट्टानों पर
जो सपाट चट्टानों से प्रेम करने वाले अन्य लोगों ने लिखे हैं

नदी के तटों पर, १९११ के वॉण्डरर
पप्पचेन में, उन चादरों
और तकिये के लिहाफ़ों के बीच जिनपर ज़ार के गुम्फाक्षर हैं।

इससे पहले कि स्टोर को बुहार दिया जाये और फ़र्श की दरारों से
दूध बाहर की ओर बह जाये
और चैरी के पेड़ पर मकड़ी के रेशे की चाँदी फैल जाये।

जब छत का धब्बा अपना आकार बदलने लगे
तितली और शंखी से इल्ली और अण्डे में
और सफ़ेद पुती दीवार पर चित्रा दिखायी देने लगे
और मेंढक बैल में बदल जाये।

क्लॉकारबेक्कन में मकड़ी के घर में,
काश्मीर से दो किलोमीटर दक्षिण में।

*

जैसे सारा ने किया था, उस वृद्धा ने,
और अब्राहम, इयूर के गड़रिये ने।
जैसा घोड़े, गधे, बकरी और गाय ने।

*

क्योंकि महेन्द्र बीर विक्रम ने
नेपाल में अपने पिता की जगह ले ली है
और सिआम में आनन्द महिदॉल मर चुका है।४३

क्योंकि मेरी आत्मा आसरा लेती है
तुम्हारी आत्मा का और मेरी घिस चुकी है
दर्ज़ी की पतलून सी और तुम्हारी
उस विण्डसर आराम-कुर्सी सी जो डेनी दूतावास में रखी है।

क्योंकि बाघ ज़्यादा शक्तिशाली है
उस बैल से जोकि सफ़ेद है, और छैनियाँ
और ढलवाँ लोहा धातु की बनी हुई चीज़ें हैं।

“मैं बात नहीं करता
प्रजातन्त्रा के निवास
वॉशिन्गटन डी. सी. के बारे में,
मैं तुम्हारी बात करता हूँ
जिसे मैं प्रेम करता हूँ।”

क्योंकि दरवाज़ा खुला है
और एक लाल गेंद दिखती है मुझे।
क्योंकि स्केल सीधा होता है
और चम्मच रखना अच्छा होता है

और तुमने केतली उठाने वाले प्रोंछे
और अँधेरे पर्दों ने तिकोनी खिड़कियाँ
पहन रखी हैं और तुम मेरे भोजन को
शहद से मीठा करती हो शरद में।

क्योंकि कोई पेशाब करता है आसमान में
शहरों और जनपदों, और भूदृश्यों
और देशों पर

और आप कुर्सी पर बैठते हैं
और पत्थर पर खड़े होते हैं और तौलते हैं
स्केल पर मैकरॉनी और हेरिंग मछली।

क्योंकि मुग्दर लोहार के पास ही होना चाहिए
और रन्दा बढ़ई ही के पास,
न कि कमरबन्द बनाने वाले और इस्त्री करने वाली के पास,
नहीं, न ही काउण्टी के जलयान चालक के पास।

क्योंकि हम नसवार से भी ज़्यादा बेवकूफ़ हैं
और उन ख़रगोशों से भी छोटे जिन्हें बेकर
अपनी टोकरी से डबल रोटी खिलाता है

जब बादल गरजते हैं और कोयल गाती है
उस प्लाण्ट के पीछे जहाँ आइस-क्रीम जमती है और जंगली रसबरी
बीनते हैं स्तब्ध रोग से पीड़ित बच्चे।

क्योंकि गुरूवार है
और सात बजे हैं
और हम प्रेम करते हैं, प्रेम करते हैं एक दूसरे से।

To you

XII

Far away from you
in remote houses

when I can’t sleep
I make a room behind my eyes

with a bed and a table and a chair.

You sit by the table
and crochet a scarf.

I lie on the bed,
the cathedral bells toll.

We’re talking about cut glass chandeliers
and saprophytes –

an incoherent
confused dialogue.

Then you drop a needle on the floor!

At this moment
our lives are changed.

We’re given two tongues and ten lips,
four eyes and a good ear:

the sound weakens
from sarcophaguses and corpses

and sacred apostles of destiny.
We love each other.

XIII

I open the windows,
the room is filled with dead words,

outside it’s 22 degrees cold.
There lie our quarrels in the snow

like frozen down relics
and heiroglyphic riddles,

remains of our life,
small doors to an eternity.

These quarrels –
barbaric and fierce

transform sometimes into ancient drama
and medieval plays!

And these fiery,
glistening batquarrels –

once I threw milk on you,
you kissed me!

XIV

A fir and a stone,
almost grow together
as if they held each other.

For how many years
have I seen them on the edge of the forest

tonight the fir shall have a bite of falu-sausage
and the stone a warm smoked ham –

for somebody
it will always be of use.

So the sky is swept clean
as if by a big broom,

the clouds drift away,
these splenetic clouds in November.

And this of course is a love poem!
For you, my love.

XV

Rain and mist,
an evening for small crows.

So the clouds are torn away,
the sky is visible.

Did you see the lizard in grandfather’s bowl?
the immortelles blossom tonight!

In your womb time resides,
my love,

the time that we’ve loved each other,
in thirty years.

Do you remember the tale about the twig,
a twig in snow with red berries?

The blackbird saw it
and a woman.

Two pictures.
Two realities.

The third picture was the woman’s own –
a key to the word love,

Let us love each other slowly
tonight, in the third space of time

and in the fourth space of time,
the age of the prostrate.

The sun is slow in November
The birds are flying south.

XVI

Sometimes
the snow falls straight down.

You sit in a pine tree
and I in a fir.

We call out to each other,
but the snow falls straight down.

When it starts blowing
we see each other.

And then, little squirrel!

We leave no tracks in the snow
only some needles to indicate –

three words.

XVII

Inside the forest there’s a stone
by the edge of a marsh.

Seen from the south:
the cranium of a cow’s head,

from the North a marble mortar
turned upside down.

We loved each other there
once in May

under three big clouds
and a violent sun.

A leaf got stuck in your hair.
In your stomach lay a foetus.

Now is Epiphany –
the marsh is frozen,

hoarfrost in goat-myrtle
and cranberry rice.

Before we go home
I put my ear against the stone.

A soughing is heard through the moss
as from small bells, the sound

from those who sleep in there:
spiders and mites,

wildbees and bumblebees
and the plum measurer’s pupa.

I kiss your left eye.
The blackbird sings in May!

XVIII

I rush into the kitchen like a maniac
and throw paper around myself

and curse the tax-assessors
and the small-lettered paragraphs

in a society
that kills poetry and fantasy.

You’re cooking porridge
Then you say:

– Did you know
that it was to Henri Eugène Philippe Louis d’Orlèans
the fourth son of king Ludvig Filip
and the duke of Aumale, in 1847

that Abd-el-Kaders surrendered in Algeria?
Did you know that his death on 7 May, 1897

at the estate Zucco på Sicilien
was hastened by the tidings

about the Duchess of Alençon, his niece –
her gruesome death in the fire in a Paris marketplace

three days earlier
Did you know that?

I keep quiet and pick up my papers.
The cheating shows in a piece of paper, but the meaning is clear –

I get a blow on the chaps.

XIX

Your hand is so small
My love

A pendulum, a spoon
A silverbowl.

Yet there is space for me
Bowels, bones

And the brain that’s boiling
Restless and contrary.

I see in wonder
How the world is changed

The course of events, the things
Of your love.

Of ashes become wood
Of scrap become rose

And still
The tombstone is warm!

Your hand is so small
So small, my love.

But here
I can rest

Peacock-feather
A thistle seed.

XX

I take the flight from Umeå,
numbed with redwine and scared.

My neighbour talks about trees
and ecological structure

10000 metre above the ground,
I undersatnd nothing.

When we land in Stockholm
released from the cramp, I say:

– Take care of your forest!
Watch your goats and the marsh-tit’s nest.

In the Klara churchyard
the snow is still clean and white.

Anna Mark Lenngren looks to the west,
Bellman and Leopold to the south.

The church is closed,
we are cheering in the snow under the boys’ choir.

*

The train journey home
is long in December

In front of me: a woman
with eyes, lips, sex and hair.

But it’s not at her that I look.
I look at you!

*

I run over the plain
and the ridge, through the forest.

“Here comes a rascal
Drunk and happy
Reeking of cheap wine and tobacco
Now to his beloved he wants to go.”

The doorbell jingles, you open.
I am home!

Suddenly I remember another clock –
Adèle Jonsson’s grocery 19938.

Then I was a child
like I am now.

XXI

If I were a stone
I couldn’t speak,

nor if I was
a paperweight or a packet of needles.

Do you understand?

If I were a bird
I would be able to talk,

though incomprehensibly
and my claws would rip your skin

and the beak would turn your mouth
into a wound.

But I am flesh and blood,
tongue, penis and hands,

my word is a part of the world
and my teeth small biblical sheep.

Yes, you understand!

So say your lips,
your womb and your body.

XXII

Warm me,
Warm me, my love

With your hands
Your breath and your body

When the Pole star explodes
And all the maps and diagrams

Are confused with documents from the court
And iron-filings!

Tell me
About the birch in the north

The waxwing’s
And the stray bird’s tree

Where your name is
Carved in the birch-bark

And the hairpin is hidden
Between birch and firewood.

Are the birds still there?
My childhood?

Warm me, my love
With your stomach, your breasts, your thighs

With your patience
And your strong faith

At that point of time
Which is Precise!

XXIII

“The greenfly gives birth to live children
And chaetopods are mating

When the moon
stands in its fourth quarter.”

And thus ends the poem to you
on the Aurora day.

You were given a sugarbowl
and a shoemaker’s lamp,

an orthoceratite in marble
and a bit of a drainpipe

with kråkvicker and tuft vetch.
We drink Chateau Cheval Blanc.

La Santé de l’Amour!
You’re a fence, my love –

You take care of me and protect me,
you forgive me again and again

and you know my body
and my fragile soul.

La Santé de l’Amour!

My name is Lars Erland Rabelais.
You are my wife, my joy!

(Translated from Swedish by Teji Grover and Birgitta Wallin)

तुम्हारे लिए

XII

तुमसे बहुत दूर
सुदूर मकानों में

जब सो नहीं पाता मैं
अपनी आँखों की ओट में एक कमरा बनाता हूँ

एक पलँग
मेज़ और एक कुर्सी के साथ।

तुम मेज़ के पास बैठीं
करोशिये से स्कार्फ़ बुनती हो।

मैं बिस्तर पर लेटा हूँ
कथीड्रल की घण्टियाँ बजती हैं।

हम क्रिस्टल-काँच फ़ानूसों की बात करते हैं
और मृतजीवियों की –

अण्ड-बण्ड,
बहकी हुई बातें।

फिर एक सुई गिरा देती हो तुम
फ़र्श पर!

इस क्षण
बदल जाता है हमारा जीवन।

हमें दो जीभ और दस ओंठ मिले हैं,
चार आँखें और एक सूक्ष्म कान :

ताबूतों और शवों से आती हुई
ध्वनि क्षीण पड़ जाती है

और भाग्य के पावन शिष्यों से।
हम प्रेम करते हैं।

XIII

मैं खिड़की खोलता हूँ,
कमरा मरे हुए शब्दों से भर जाता है।

बाहर २२ डिग्री सर्दी है।
वो रहे हमारे झगड़े बर्फ़ में

जैसे जमे हुए स्मृति चिह्‌न हों
और चित्रिलिपि में पहेलियाँ,

हमारे जीवन के अवशेष,
शाश्वत को खुलते नन्हें द्वार।

ये झगड़े —
बर्बर और भीषण,

कभी-कभी प्राचीन नाट्य में रूपायित हो जाते हैं
और मध्युगीन नाटकों में!

और ये आग बबूले,
चिलकते चमगादड़ झगड़े –

एक बार मैंने दूध फेंक दिया था तुम पर,
तुमने चूम लिया था मुझे!

XIV

एक देवदार और एक पत्थर,

लगभग साथ-साथ उगे हैं
जैसे एक दूसरे को थामे।

कितने साल से
मैं उन्हें जंगल के छोर पर देखता रहा हूँ?

आज देवदार फ़ालू सॉसेज का एक टुकड़ा खायेगा
और पत्थर धुएँ में पका गर्म हैम –

कोई तो होगा
जिसके लिए हमेशा किसी काम का होगा।

तो आसमान बुहार दिया जाता है
जैसे एक बड़ी सी झाड़ू से,

बादल बह जाते हैं,
ये चिड़चिड़े बादल नवम्बर के।

और यकीनन यह एक प्रेम कविता है!
तुम्हारे लिए, प्रिये।

XV

बारिश और धुन्ध
बूढ़े कौओं के लिए एक शाम।

तो बादल फटने लगते हैं,
आसमान दिखने लगता है।

दादा के कटोरे में छिपकली देखी थी तुमने?
आज रात अजर पुष्प खिलते हैं!

तुम्हारे गर्भ में समय का वास है,
प्रिये,

समय जब प्रेम किया था हमने
तीस वर्षों में।

तुम्हें याद है बर्फ़ में लाल बदरी वाली
उस टहनी की कहानी?

कस्तूरक पक्षी ने देखा था उसे
और एक स्त्री ने।

दो चित्र।
दो वास्तविकताएँ।

तीसरी तस्वीर औरत की अपनी थी –
प्रेम शब्द की कुद्द्रजी।

धीमे-धीमे प्रेम करें हम
आज रात समय के तीसरे घर में

और समय के चौथे घर,
पुरःस्थ ग्रन्थि की उम्र में।

सूर्य मद्धिम है नवम्बर में।
पक्षी दक्षिण को उड़ रहे हैं।

XVI

कभी कभी
बर्फ़ सीधी नीचे गिर जाती है।

तुम चीड़ के एक पेड़ में बैठी हो
और मैं देवदार के।

हम एक दूसरे को पुकारते हैं,
लेकिन बर्फ़ सीधी नीचे गिर जाती है।

जब हवा बहने लगती है
हम एक दूसरे को देखते हैं।

और तब, एक छोटी गिलहरी!

हम बर्फ़ में कोई निशान नहीं छोड़ते
सिर्फ़ कुछ सुइयाँ संकेत के लिए –

तीन शब्द।

XVII

वन के भीतर एक पत्थर है
एक दलदल के पास।

दक्षिण से देखने पर :
गाय का कपाल,

उत्तर से संगमरमर की ओखली
औंधी पड़ी हुई।

हमने प्रेम किया था एक दूसरे से वहाँ
मई में एक बार

तीन बड़े बादलों
और एक हिंसक सूर्य के नीचे।

तुम्हारे बालों में एक पत्ता अटक गया था।
तुम्हारे गर्भ में एक भ्रूण था।

अब इपिफ़नि का दिवस है –
दलदल जम गयी है,

छाग मेंहदी के पौधे में पाला है
और अम्ल-बदरी के चावल में।

इससे पहले कि हम लोग घर जायें
मैं पत्थर पर कान लगाकर देखता हूँ।

काई में से एक सरसराहट सुन रही है
जैसे नन्हीं घण्टियों से, वह ध्वनि

जो भीतर सोने वालों से आती है :
मकड़ी और कीड़ों की,

जंगली मधुमक्खी और गुन्जन मक्षिकाएँ
और आलूचे मापते हुए कीड़ों के कोष।

मैं तुम्हारी बाँयी आँख को चूमता हूँ।
कस्तूरक चिड़िया गाती है मई में!

XVIII

मैं किसी पागल सा भड़भड़ाता हुआ रसोई में घुसता हूँ
और चहुँ ओर काग़ज़ फेंकता हूँ

और करनिर्धारक को
और नन्हें अक्षरों के पैराग्राफ़ों को कोसता हूँ

उस समाज में
जो कविता और फ़न्तासी को मार देता है।

तुम दलिया बना रही हो
फिर कहती होः

— क्या तुम्हें पता है
कि हेनरी यूजीन फ़िलिप लुई दॉर्लियाँ,

राजा लुडविग फ़िलिप के चौथे पुत्रा
और ओमाल के ड्यूक के सामने, १८४७ में

अल्जीरिया में अब्द-एल कादेर्स ने हथियार डाल दिए थे?
क्या तुम्हें पता है कि ७ मई, १८९७ को उनकी मृत्यु

ज़ुक्को पॉ सिसिलएन की जागीर पर
इस ख़बर से और भी क़रीब सरक आयी थी

कि आलेंसाँ की डच्चैस्स, उनकी भाँजी
पैरिस के बाज़ार में लगी आग में बुरी मौत मारी गयी थी

तीन दिन पहले?
पता था तुम्हें?

मैं चुप रहता हूँ और अपने कागज़ उठाता हूँ।
पर्ची दिख रही है, लेकिन अर्थ स्पष्ट है —

मेरे मुँह पर चोट की गयी है।

XIX

तुम्हारा हाथ कितना छोटा है
प्रिये

एक दोलक, एक चम्मच
एक चाँदी की कटोरी।

फिर भी मेरे लिए जगह है
आँतें, हड्डियाँ

और मस्तिष्क जो उबल रहा है
अशान्त और विपरीत।

मैं विस्मय से देखता हूँ
दुनिया कैसे बदल गयी है

घटनाओं का क्रम, चीज़ें
तुम्हारी प्रेम की।

उस राख की जो लकड़ी बन गयी है
उस कूड़े की जो गुलाब का एक फूल

और अभी तक
कब्र का पत्थर गर्म है!
तुम्हारा हाथ कितना छोटा है
कितना छोटा है, प्रिये।

लेकिन यहाँ
आराम कर सकता हूँ मैं

एक मोर-पंख
इक्षुगन्धा का एक बीज।

XX

मैं उमियो से पहली फ्लाईट पकड़ता हूँ,
रेड वाइन से सुन्न और भयभीत।

मेरा पड़ोसी पेड़ों की बात करता है
और इकॉलॉजी की संरचना की

ज़मीन से १०००० मीटर ऊपर,
मैं कुछ नहीं समझता।

जब हम लोग स्टॉकहोम में उतरते हैं
अंग सीधे कर मैं कहता हूँ :

– अपने जंगल का ध्यान रखना।
अपनी बकरियों और अपनी वल्गुली के घोंसलों को देखना।

*

क्लारा के गिरजे के कब्रिस्तान में
बर्फ़ अभी तक साफ़ और सफ़ेद है।

अन्ना मरिया लेन्नग्रेन पश्चिम को मुँह किये हैं,
बेल्लमान और लेपोल्ड दक्षिण को।

गिरजाघर बन्द है,
हम लड़कों के संगीत कक्ष के नीचे बर्फ़ में हर्षध्वनि करते हैं।

*

घर वापसी की टे्रन यात्रा
दिसम्बर में बहुत लम्बी है।

मेरे सामने : एक औरत है
आँखें, ओंठ, यौन और बाल लिये।

लेकिन वह नहीं है जिसे मैं देखता हूँ।
मैं तुम्हें देखता हूँ!

*

मैं मैदान में भागता हूँ
और ऊँची ज़मीन पर जंगल के भीतर से।

“लो ये रहा वो बदमाश
क्या झूम रहा है दारूबाज़
तम्बाखू और सस्ती शराब की बास
अब जायेगा अपनी जोरू के पास।”

घण्टी खनखनाती है, तुम खोलती हो।
घर आ गया हूँ मैं!

अचानक मुझे एक अन्य घण्टा-घड़ी की याद आती है –
अदेले यॉनसन ग्रॉसरी १९३८।

तब मैं बच्चा था।
जैसे अब।

XXI

अगर मैं पत्थर होता
मैं बोल नहीं सकता था,

न अगर मैं
पेपरवेट या सुइयों का पत्ता।

तुम समझ रही हो?

अगर मैं पक्षी होता
तो मैं बात कर सकता था,

लेकिन समझ से बाहर,
और मेरे पन्जे तुम्हारी त्वचा को छील देते

और चोंच तुम्हारे मुँह को
एक ज़ख्म में बदल देती।

लेकिन मैं माँस और खून हूँ,
ज़बान, शिश्न और हाथ हूँ,

मेरा शब्द एक अंश है संसार का
और मेरे दाँत बाइबिल की नन्हीं भेड़ें।

हाँ, तुम समझ रही हो!

यही कह रहे हैं तुम्हारें ओंठ,
तुम्हारी कोख और तुम्हारा शरीर।

XXII

गर्माओ मुझे
मुझे गर्माओ, प्रिये

अपने हाथों
अपनी साँस और अपने जिस्म से

जब ध्रुव तारा फटेगा
और सभी नक्शे और रेखाचित्रा

न्यायालय के दस्तावेज़ों के साथ मिल जायेंगे
और लौहचूर्ण के साथ!

फिर बताना मुझे
उत्तर में भूर्ज वृक्ष के बारे में

मोमपंखी चिड़िया
और डरने वाली चिड़िया के पेड़ के बारे में

जहाँ तुम्हारा नाम
भूर्ज की छाल में खुदा है

और सिर की सुई छिपी है
भूर्ज और जलाऊ लकड़ी के बीच।

क्या चिड़ियाँ अब भी हैं?
मेरा बचपन?

गर्माओ मुझे, प्रिये
अपने पेट, अपने स्तनों, अपनी जाँघों से

अपने धैर्य से
अपनी दृढ़ आस्था से

समय के उस क्षण
जिसे ऐन उस घड़ी कहा जाता है!

XXIII

“हरी मक्खी जि+न्दा बच्चों को जन्म देती है
और चेटोपॉड कीड़े सम्भोग कर रहे हैं

जब चन्द्रमा
टिका रहता है अपने चौथे पक्ष में।”

और यूँ ख़त्म होती है तुम्हें समर्पित यह कविता
ऑरोरा दिवस पर।

तुम्हें चीनी की एक कटोरी
और मोची की लालटेन दी गयी थी,

संगमरमर में एक ऑर्थोसेराटाइट
और नाली की पाइप का एक टुकड़ा

पीतपुष्पों और छीमीदार घासपात की सोहबत में।
हम शातो शेवाल ब्लाँ पीते हैं।

ला साँते द लामूर!
तुम एक बागोड़ हो, प्रिये —

तुम ख़याल रखती हो और रक्षा करती हो मेरी
बार-बार क्षमा करती हो मुझे

और तुम मेरे शरीर को जानती हो
और भंगुर मेरी आत्मा को।

ला सांते द लामूर!

मेरा नाम लार्श अर्लेण्ड राबले है।
तुम मेरी पत्नी हो, मेरा सुख!

(स्वीड़ी से अनुवाद: तेजी ग्रोवर)

(This Hindi translation was published by Vani Prakashan, New Delhi: 2006) (यह हिन्दी अनुवाद वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली (२००६) से प्रकाशित है.)

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