आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

बच्चों के लिखी कविताएँ और कहानियाँ : Poems and Stories by Children

Art: Sunita

चयन: प्रभात

मेरा घर बरसते मौसम में है: चाहत

एक भालू था. वो गर्मी के मौसम में पानी में तैरने के लिए जा रहा था. उसे बड़ी सी मछली दिखी. भालू उसे पकड़कर खा गया. फिर वो घर जाकर सो गया.

सुबह हो गर्इ. उसे जोर की प्यास लगी. उसे जामुन के पेड़ पर तोता दिखार्इ दिया पर वह दूर जाने लगा जहां नदी है बड़ी. उसे चलते-चलते और प्यास लगी जोर की. फिर उसे नदी दिखार्इ दी. उसमें बहुत सारा पानी था. उसने जाकर पानी पी लिया. मछली भी खा ली. उसे वहां पर एक घर दिखार्इ दिया. वह उसमें घुस गया. दूसरे दिन बाहर निकला. निकल कर चलने लगा. चलते-चलते थक गया तो उसे जंगल का शेर दिखा. बोला- “कहां जा रहे हो, तुम्हारा घर कहां है”

“मेरा घर बरसते मौसम में हैं” भालू ने कहा और चलता रहा.

बबूल: रीना मीणा

आप हैं हरे-भरे

लेकिन लम्बे नजर

आते हैं जरा

 

आप देते हैं हमें

छाया और ठण्डक

आप लहर-लहराते हैं जरा

 

आपकी चादर हरी-भरी

आप उसे ओढ़े रहते

आपके पीले-पीले फूल

फिर फल

हमें लुभाते हैं जरा

 

आप हैं हरे-भरे

लेकिन लम्बे नजर

आते हैं जरा

ये चाँद इन तारों की फुटबाल है: किरण

ये सूरज है ये अपने लिए बाल्टी लेकर पानी भरने जा रहा है

ये सूरज बाबा की टंकी है

ये इसमें नहायेगा और पानी भरके ले जायेगा

 

ये खरगोश है ये डोंगरी में जा रहा है

और ये लड़का सड़क-सड़क खरगोश को पकड़ने जा रहा है

ये लड़का चिड़िया से डोंगरी का रास्ता पूछ रहा है

 

ये आसमान है इसमें बहुत सारे बादल सैर करने निकले हैं

ये भेड़ बकरियाँ हैं ये जंगल से घर को जा रही हैं

ये रात है इसमें ये काला-काला अँधेरा हो रहा है

ये तारे हैं ये फुटबाल खेल रहे हैं

ये चाँद इन तारों की फुटबाल है

ये बच्चा तारों से कह रहा है कि मुझे भी खिला लो

और उसका बच्चा: रीना

सुबह निकलता है जो सूरज और उसका बच्चा

रात को दिखता है जो चांद और उसका बच्चा

ये लड़का इनको देख रहा है

झाड़ी में छिपा है जो सांप और उसका बच्चा

दीवार पर बैठा है जो बिल्ला और उसका बच्चा

नीम में बैठा है जो मोर और उसका बच्चा

और यहां जीप खड़ी है

और ये हैण्डपम्प है और ये हैण्डपम्प का बच्चा.

जानवर: शेषाद्री उदयनी कोट्टीराच्ची

श्रीलंकाई कविता, अंग्रेजी से अनुवाद : प्रभात

 

किसी के दो पैर हैं

किसी के चार

 

कोर्इ जाता है फर्श पर फिसलकर

किसी की खाल मुलायम रोयेंदार

किसी की शल्की

 

कोर्इ खूब गब्दू है

कोर्इ एकदम पतलू

किसी के जबडे़ हैं बड़े

किसी के पंजे हैं पैने

 

कोर्इ खाता है मांस

कोर्इ चरता है घास

किसी को पसंद

गुनगुनी धूप का उजास

 

कोर्इ लिसलिसा है

कोर्इ खुरदरा

ये सारे जानवर हैं

मुझसे मत पूछो कि क्यों है

रोने वाले राजारानी: रिंकू मीणा

एक राजा था. उसके एक रानी थी. एक दिन राजा शिकार खेलने गया. खेलते-खेलते उसको रात हो गयी. रानी अफसोस करने लगी. राजा धीरे-धीरे आ रहा था. घर आकर पहुंचा तो देखा रानी रो रही थी. राजा ने रानी से पूछा- क्या हुआ है? रानी राजा से बोली नहीं. उसकी आंसू भरी आंखें देखकर राजा रोने लगा. रोते-रोते राजा ने रानी से पूछा- अरी तू क्यों रो रही है? राजा को इस तरह रोता देखकर रानी हिलकी भर-भर कर रोने लगी. राजा भी फूट-फूट कर रोने लगा.

 

 

 

2 comments
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  1. सुंदर संचयन, आभार एवं बधाई।

  2. bahut sundar

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