आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

नैयर मसूद: अदृश्य कला/ Naiyer Masud: The Invisible Artist

Art: Sunita

बीसवीं शताब्दी के हिंदी-उर्दू अदब में तरक्कीपसंद तहरीक और उसके द्वारा प्रोत्साहित यथार्थवादी सौंदर्यशास्त्र की लोकप्रियता और प्रभुत्व के बरक्स उससे नाइत्तिफाकी रखने वाले लेखकों को अपने ढंग से लिखने के लिए और अदबी पहचान पाने के लिए अपने तरक्कीपसंद हमसफरों से ज्यादा हौसला दरकार था. उर्दू के बेमिसाल अफ़सानानिगार नैयर मसूद ऐसे ही लेखकों में से हैं और उनका काम अभी उर्दू से बाहर उतना नहीं जाना जाता जितना उसे जाना जाना चाहिए. नज़र अब्बास और महेश वर्मा द्वारा हिंदी में लिप्यंतरित तीन कहानियाँ साधारण जीवन को बिल्कुल नामालूम तरीके से असाधारण कला में बदल देने के उनके हुनर की एक बानगी हमारे सामने पेश करती हैं.

The popularity and dominance of the Progressive Movement and the realist aesthetics in Hindi and Urdu in the twentieth century made sure that those who wished to write in their own way needed more courage than their progressive counterparts to do so and had to struggle for literary recognition. One of Urdu’s finest fiction writers, Naiyer Masud belongs to that small minority of writers. Transliterated into Hindi by Nazar Abbas and Mahesh Verma, these stories reveal an almost indiscernible technique that transforms ordinary lives into extraordinary art.

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बादेनुमा

किताबदार

मिसकीनों का एहाता

2 comments
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  1. तीनो कहानी पढ़ ली और दंग रह गया .गजब का अंदाजेबया है .जिंदा हालात का कबूलनामा लगी .

  2. Thanks to Daisy Rockwell for chance introduction to your wonderfull Hindi/English Paratilipi. And another pleasant surprise was Naiyer Masud’s three short stories, which incidently I read some time back courtsey “Annual of Urdu Studies”. Your magazine is a treasure of beautiful nuggets and it needs to be enjoyed slowly but deliberately. I congratulate you for bringing out this quality on-line magazine.

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