गिरधर राठी प्रदर्शनप्रियता के गंभीर और प्रेरक प्रतिवाद हैं. वे हिन्दी में कविता के बहुत सक्षम और प्रभावी अनुवादक रहे हैं. हंगारी कविता से उनका संबंध चालीस बरस पुराना है और मिक्लोश राद्नोती, शांदोर वारोश, यानोश पिलिंस्की, आग्नैश नैमैश नॉज, लास्लो नॉज, फ़ैरेन्त्स युहास, शान्दोर कान्यादी, ग़िजैल्लॉ हैरवाई, ऑलॉदार लास्लोफ़्फ़ी और एवॉ तोथ की कविताओं का हंगारी साहित्य की भारत-स्थित अध्येता मारगित कोवैश के सहयोग से उनके द्वारा अनूदित एक संचयन हाल ही में वाग्देवी प्रकाशन, बीकानेर से पुस्तकाकार आया है – प्रतिलिपि में प्रकाशन की अनुमति देने के लिये हम प्रकाशक दीपचंद साँखला के आभारी हैं.
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Girdhar Rathi has been a very capable and effective translator of poetry into Hindi. His relationship with Hungarian poetry goes back 40 years. His translations – done with the co-operation of India-based Hungarian scholar, Margit Koves – of poems by Miklós Radnóti, Sándor Weöres, János Pilinszky, Agnes Nemes Nagy, László Nagy, Ferenc Juhász, Sándor Kányádi, Gizella Hervay, Aladár Lászlóffy and Eva Toth has just been published by Vagdevi Prakashan, Bikaner. Pratilipi is grateful to the publisher, Deepchand Sankhla, for permission to publish them here.
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दस हंगारी कवि
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