आज़ादी विशेषांक / Freedom Special

अंक 13 / Issue 13

काला कैनवास तिरछी लकीरें: तुषार धवल

१.

मैं प्रक्षिप्त शब्द
मृत्यु के नाचते पैरों के बीच
अन्त का मुक़म्मल अन्त
कलम से पूछता हूँ
एक पन्ना कहीं उड़ कर
पूरी दुनियाँ छाप लाता है
और उसमें दुनियाँ भर की कब्रें होती हैं
मुझे नहीं चाहिये ये कब्रें ये नक्शे
क्योंकि अभी भी दुनियाँ को हाथों की जरूरत है
पहचान को .जबान की जरूरत है

मुझे भरोसा है उसी बस्ती का
जहाँ लोग बोलना भूल गये हैं

२.

ये लोहे की छड़ों में कैद की मुद्दत
रंगीन मजबूरियों की मोहिनी मुद्राएँ
कुछ तो हिसाब तय करेंगी ही
जिन्दगी के बैलेंस शीट पर कई छींटे कुछ धब्बे
कुछ भूल सुधार और कुछ
मिटाने के निशान
जीवन जहाँ से भी गुजरा
उन पन्नों पर खराश छोड़ गया
रौंद रगड़ कर बुझा दिये गये शब्द
अब भी वहीं हैं तमाम क्रूरताओं के बावजूद
भले ही उनके ऊपर से भड़कीले वाक्यों की कतार गुजर रही हो
चुप खामोशी में जब अकेला होता है पन्ना वे शब्द
निकल आते हैं और भरने लगते हैं उसमें प्राण
एक दिन वे शब्द पूरा का पूरा पन्ना बन जायेंगे
तैयार हो जायेंगे
कि उस पर से गुजरेगा जीवन
एक दिन।

३. काला कैनवास तिरछी लकीरें

वह जहाँ खड़ा है उस तक पहुँचने के सारे रास्ते
गिर गये हैं
और उसके चारों तरफ धुन्ध फैलती जा रही है
जबकि उसे खोजने मिथकों में जा रहे हैं लोग
वह एक द्वीप हो गया है
कोई भी भाषा चल कर उस तक नहीं आ सकती
अब वह अपने जैसा ही किसी को ढूँढ़ता है
सड़क बाज़ार और इन्टरनेट पर।
सिर्फ इतना कि वह काले को काला कहता है, ग्रे नहीं
और काले को काला कह देने लायक कोई भाषा नहीं बची
अब वह जो भी कहता है पहेली की तरह लिया जाता है
जिसमें काले का अर्थ कुछ भी हो सकता है, काला नहीं
अपने लोगों के बीच एक द्वीप हो जाना
जीते जी लुप्त हो जाना है और ऐसे ही कितने लोग
अकेले लुप्त हुए जा रहे हैं
जबकि आँकड़े बताते हैं कि आबादी बढ़ रही है
यह किसकी आबादी है ?
वह इन बेरहम फासलों से हाथ उठा उठा कर चिल्लाता है और
कुछ कहता है पर व्यस्त लोग
अपनी अपनी जुगत में उसके बगल से निकल जाते हैं
वह एक काले कैनवास पर तिरछी लकीरें खींचता है और
बताता है यह मेरा समय है
जिसकी तिरछी लकीरें कैनवास के बाहर मिलकर
नई संरचना तैयार कर रही हैं
चित्र कैनवास के बाहर शून्य में आकार लेते हैं
उसका मन रोज एक खाई बनाता है
जिसे वह रोज पार करता है
जगत इसकी व्याख्या में उलझा रहता है

3 comments
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  1. aapki teenon kavitayen parhkar anand aa gaya, khaskar kala canvas…

  2. जबकि उसे खोजने मिथकों में जा रहे हैं लोग
    वह एक द्वीप हो गया है
    …bahut achhe…

  3. aap ke dil me aneko raj hai. bahut khub.

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